Bareilly News: 10 साल की बच्ची की हत्या के मामले में पिता, सौतेली मां और बुआ को उम्रकैद

बरेली। चार साल पहले 10 साल की बच्ची की बेरहमी से हत्या कर शव को घर में ही गड्ढा खोदकर दफनाने के मामले में अदालत ने उसके पिता, सौतेली मां और बुआ को दोषी करार दिया।

अदालत ने सुनाई उम्रकैद की सजा

अपर सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार यादव ने शुक्रवार को आरोपी रवि बाबू शर्मा (पिता), रीतू (सौतेली मां) और राधा देवी (बुआ) को हत्या और सबूत मिटाने के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही, तीनों पर 30-30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

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ममेरे भाई ने दर्ज कराई थी रिपोर्ट

यह दिल दहला देने वाली घटना बरेली के इज्जतनगर की आलोकनगर कॉलोनी में हुई थी। सरकारी वकील सचिन जायसवाल के अनुसार, इस मामले की रिपोर्ट बच्ची के 15 वर्षीय ममेरे भाई सूरज ने दर्ज कराई थी।

कैसे हुआ पूरा खुलासा

सूरज ने पुलिस को बताया कि वह बचपन से अपने मामा रवि बाबू के पास रहता था। कुछ समय पहले उसने कर्मपुर चौधरी में बढ़ई का काम शुरू किया और वहीं रहने लगा। 20 अगस्त 2020 को मामा रवि बाबू ने फोन कर उसे घर बुलाया, यह कहकर कि घर में पालतू कुतिया मर गई है, उसे फेंकना है।

जब सूरज घर पहुंचा तो उसने मरी कुतिया को बाहर फेंका। फिर वापस घर आया तो देखा कि मामा रवि बाबू, बुआ राधा देवी, मामी रीतू और दादी शकुंतला देवी एक कमरे में गड्ढा खोदकर उसकी ममेरी बहन काजल का शव दफना रहे थे।

पूछने पर मामा-मामी ने बताया कि काजल की मौत तख्त से गिरने से हुई है। लेकिन सूरज को शक हुआ और उसने पुलिस में शिकायत कर काजल के शव का पोस्टमार्टम कराने की मांग की।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ खुलासा

23 अगस्त 2020 को पुलिस ने घर से काजल का शव निकलवाया और पोस्टमार्टम कराया। रिपोर्ट में सामने आया कि उसके सिर, कान और शरीर के कई हिस्सों पर गंभीर चोटों के निशान थे। पुलिस ने विसरा जांच भी कराई और सबूतों के आधार पर मुकदमा दर्ज किया।

कोर्ट ने दिया नुपुर तलवार केस का हवाला

अदालत ने इस केस का फैसला सुनाते हुए चर्चित नुपुर तलवार केस का भी जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट के उस सिद्धांत को दोहराया, जिसमें कहा गया था कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य होने पर अभियोजन को हेतुक (मकसद) साबित करने की जरूरत नहीं होती।

बचाव पक्ष की दलील खारिज

बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि बचपन में मामा-मामी से मार खाने के कारण सूरज ने बदला लेने के लिए फर्जी केस दर्ज कराया। लेकिन अदालत ने इसे खारिज करते हुए पूछा कि अगर काजल की मौत सामान्य थी तो अभियुक्तों ने खुद पुलिस में रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज कराई?

अदालत ने माना कि 15 साल के लड़के ने जितनी कोशिश हो सकती थी, उतनी की। पुलिस व्यवस्था ऐसी है कि सामान्य हालात में भी वह इस तरह की घटनाओं को दर्ज नहीं करती। अदालत ने कहा कि अभियुक्त इसलिए दोषी हैं क्योंकि बच्ची की लाश उनके ही घर में दफन मिली।

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