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बलिया में तीनों नदियों का जलस्तर घटा, पर अभी भी खतरे के निशान से ऊपर; 70 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित

बलिया। जनपद में गंगा, सरयू और टोंस नदियों का जलस्तर धीरे-धीरे घट रहा है, लेकिन तीनों नदियां अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इससे 60 गांवों के करीब 70 हजार लोग प्रभावित हैं। शहर और ग्रामीण इलाकों में हालात गंभीर बने हुए हैं।
गंगा, सरयू और टोंस का जलस्तर
शहर और गांवों की स्थिति
निहोरा नगर, कृष्णा नगर, बेदुआ, मुहम्मदपुर, महावीर घाट, गौसपुर और गायत्री कॉलोनी जैसे शहर के निचले इलाकों में घरों तक पानी घुस गया है। सड़कों पर नावें चल रही हैं और लोग आने-जाने के लिए या तो नाव का सहारा ले रहे हैं या फिर पानी से होकर गुजरने को मजबूर हैं। स्कूली बच्चों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भयावह है। सुघर छपरा, दूबे छपरा, गोपालपुर, उदई छपरा, नौरंगा, भुआल छपरा, चक्की नौरंगा और भगवानपुर समेत कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं। बाढ़ग्रस्त इलाकों में पशुओं के चारे का संकट भी खड़ा हो गया है। गंगा की कटान से चक्की नौरंगा गांव लगभग समाप्त होने की कगार पर है।
सरयू और टोंस की मार
सरयू नदी का जलस्तर घटने के बावजूद बांसडीह तहसील के चितबिसांव खुर्द, रामपुर नंबरी, कोलकला बिंद बस्ती, चांदपुर और नवकागांव जैसे गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। सिकंदरपुर क्षेत्र के लीलकर, निपनियां, जिंदापुर, बिजलीपुर और बैरिया तहसील के गोपालनगर व शिवाल मठिया भी प्रभावित हैं।
वहीं टोंस नदी में एक माह के भीतर चौथी बार जलस्तर बढ़ने से चितबड़ागांव से नगवा गाई, बीबीपुर, बढ़वलिया, अख्तियारपुर, टीकरी, मंजूरपुर सहित दर्जनों गांवों को जोड़ने वाले मार्ग जलमग्न हो गए हैं। सड़क डूबने से छात्रों, किसानों, मरीजों और व्यापारियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बाढ़ प्रभावितों की पीड़ा
निहोरा नगर की लीलावती देवी का कहना है कि उन्हें रोजाना पानी से होकर गुजरना पड़ रहा है। गौसपुर निवासी फूलन यादव ने बताया कि नाव की व्यवस्था नहीं होने से लोगों को भारी दिक्कत हो रही है। कई इलाकों में बाढ़ राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है, लेकिन कुछ लोग अब भी इससे वंचित हैं।
पिछले साल सरयू, इस बार गंगा
पिछले वर्ष सरयू नदी ने बलिया के कई गांवों में तबाही मचाई थी और टिकुलिया तथा गोपालनगर टाड़ी जैसे गांव लगभग समाप्त हो गए थे। इस बार गंगा नदी कहर बरपा रही है और अब तक करीब 89 घरों को अपने में समाहित कर चुकी है।
कुल मिलाकर, बलिया में नदियों का जलस्तर भले ही घट रहा हो, लेकिन बाढ़ और कटान का खतरा अभी भी टला नहीं है।