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NEET रैंकर धीरज यादव के सम्मान में 15 किलोमीटर तक बरसे फूल, बोले – धैर्य, अनुशासन और लक्ष्य के प्रति समर्पण है सफलता का मंत्र

बलिया : नीट (NEET) परीक्षा 2025 में ऑल इंडिया रैंक 110 और ओबीसी श्रेणी में 45वीं रैंक हासिल कर जिले का नाम रोशन करने वाले धीरज कुमार यादव का उनके पैतृक गांव भदवरिया टोला (हल्दी) पहुंचने पर ऐतिहासिक स्वागत किया गया। बलिया रेलवे स्टेशन से गांव तक 15 किलोमीटर के सफर में धीरज पर फूलों की बारिश होती रही और हर चौक-चौराहे पर ग्रामीणों ने दिल खोलकर उनका स्वागत किया।
धीरज की प्रेरणादायक यात्रा
धीरज हल्दी (भदवरिया टोला) निवासी स्वर्गीय बब्बन यादव के पौत्र और उपनिरीक्षक सुदर्शन यादव (जौनपुर मड़ियांव थाना) के पुत्र हैं। 10वीं और 12वीं की पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद उन्होंने कोटा से नीट की तैयारी शुरू की और पहले ही प्रयास में शानदार रैंक हासिल की। धीरज का सपना है कि वे एक कुशल कार्डियोलॉजिस्ट बनकर देश और समाज की सेवा करें।
कोटा ने सिखाया असली मुकाबला
धीरज ने बताया कि कोटा जाकर उन्हें देशभर के प्रतिस्पर्धी माहौल का अनुभव हुआ। उन्होंने समय प्रबंधन, विषय आधारित रणनीति और नियमित प्रैक्टिस सेट को अपनी सफलता की कुंजी बताया। धीरज ने कहा, “मैंने कभी भी बैकलॉग नहीं बनने दिया, सोशल मीडिया से दूरी बनाई और टीचर्स से नियमित संवाद रखा।”
पारिवारिक समर्थन बना ताकत
धीरज ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, शिक्षकों और पूरे परिवार को दिया। उन्होंने बताया कि उनका परिवार शिक्षा, साहित्य और संस्कृति को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और यही उनके जीवन की नींव बनी। बड़े भाई देव कुमार यादव, जो दिल्ली में अध्यापक हैं, ने नीट की तैयारी में मार्गदर्शक की भूमिका निभाई।
भविष्य की योजना और संदेश
धीरज ने कहा, “मैं यह रैंक और बेहतर कर सकता था, लेकिन फिजिक्स का पेपर कठिन था और परीक्षा के समय पारिवारिक फंक्शन का भी दबाव था।” हालांकि उन्होंने किसी समारोह में हिस्सा नहीं लिया, फिर भी मनोवैज्ञानिक दबाव महसूस हुआ।
नीट के उम्मीदवारों को संदेश देते हुए धीरज ने कहा, "कभी भी घबराएं नहीं, नंबर कम आएं तो खुद को आंकें, वही आपकी मजबूती बनेंगे। विषयगत रणनीति बनाएं, सोशल मीडिया से दूरी रखें और अपने शिक्षकों से नियमित संवाद करें। सबसे जरूरी है – धैर्य, अनुशासन और लक्ष्य पर केंद्रित रहना। सफलता निश्चित मिलेगी।”
धीरज की यह सफलता बलिया जिले के हजारों मेडिकल अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा बन गई है। उनके स्वागत में जुटी भीड़ और उमंग यह बताने के लिए काफी थी कि मेहनत, समर्पण और धैर्य का कोई विकल्प नहीं।