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बलिया में दिखा चक्रवात ‘मोंथा’ का असर, पर्यावरणविद् डॉ. गणेश पाठक बोले, तीन दिन तक रहेगा प्रभाव
बलिया : समुद्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर होने के बावजूद चक्रवातों का असर अक्सर बलिया तक पहुंच ही जाता है। इस बार बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवात ‘मोंथा’ (जिसे कुछ जगहों पर ‘मेंथा’ भी कहा जा रहा है) का प्रभाव जिले में महसूस किया जा रहा है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इसका असर कम से कम तीन दिनों तक रहेगा।
उन्होंने बताया कि चक्रवातों के नामकरण की प्रक्रिया भी काफी रोचक है — पहले इनका नाम फूलों, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों पर रखा जाता था, लेकिन अब इन्हें वर्णमाला क्रम या प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम पर रखा जाता है। इस बार बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवात का नाम ‘मोंथा’ थाईलैंड ने दिया है, जिसका अर्थ है ‘सुंदर फूल’।

मोंथा चक्रवात का मार्ग और असर
यह चक्रवात बंगाल की खाड़ी में थाईलैंड के पास से उत्पन्न होकर 28 अक्टूबर की रात आंध्र प्रदेश के काकीनाडा तट से टकराया। उस समय इसकी रफ्तार 90 से 110 किमी प्रति घंटा तक पहुंच गई थी। इसके बाद यह आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल होते हुए उत्तर दिशा की ओर बढ़ा।
फिलहाल यह चक्रवात कमजोर पड़ चुका है, लेकिन छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश, विशेषकर बलिया में इसका असर अब भी जारी है। मौसम विभाग के अनुसार अगले तीन दिनों तक हल्की से मध्यम वर्षा और ठंडी हवाओं का असर रहने की संभावना है।
कृषि पर पड़ेगा असर
डॉ. पाठक ने चेतावनी दी कि यह बारिश किसानों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। धान की फसल पक चुकी है और तेज हवा या लगातार बारिश से फसल गिर सकती है, जिससे उपज पर असर पड़ेगा। साथ ही अधिक वर्षा होने पर रबी की बुआई में भी विलंब हो सकता है, क्योंकि खेत समय पर सूख नहीं पाएंगे।
