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छठ पूजा पर सन नियो ने पूजा सामग्री संग बांटी खुशियां, बिहार घाटों और रेलवे स्टेशनों पर दी विशेष सुविधाएं
जब हाथों में अर्घ्य थामे हर मां, बहन और बेटी सूर्यदेव से अपने घर-परिवार की खुशियाँ मांगती हैं, तब छठ का हर दीप प्रेम, आस्था और उम्मीद की किरण बन जाता है। इन्ही सच्ची भावनाओं से जुड़ा है सन टीवी नेटवर्क का हिंदी जीईसी चैनल 'सन नियो' जिन्होंने एक बार फिर अपने दर्शकों की भावनाओं, परंपराओं और संस्कृति को गहराई से महसूस करते हुए अपनी टैगलाइन 'दिल से जियो' का सुंदर उदाहरण पेश किया। चैनल ने लगातार दूसरे साल अपनी इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए श्रद्धालुओं की छठ पूजा को और भी खास बना दिया। इस वर्ष भी अपनी विशेष पहल के अंतर्गत छठ पूजा के अवसर पर घर लौट रहे परिवारों को न केवल रेलवे स्टेशनों और छठ स्पेशल ट्रेनों में पूजा सामग्रियां भेंट की बल्कि बिहार के प्रमुख घाटों और तालाबों पर भी उपस्थित रहकर व्रतधारियों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई।
रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में पूजा सामग्री बाँटने के अलावा, सन नियो ने बिहार में भी ज़मीनी स्तर पर एक दिल छू लेने वाली पहल की, जिससे श्रद्धालु छठ पूजा के पवित्र अनुष्ठान को और अधिक आराम और सुविधा के साथ निभा सकें। इसके तहत चैनल ने देवकुंड (औरंगाबाद), काली घाट (सोनपुर) और श्रीनाथ बाबा घाट (बक्सर) पर श्रद्धालुओं के लिए रेस्ट रूम्स, कपड़े बदलने के कमरे और फीडिंग रूम्स की व्यवस्था की। इस सोच के पीछे एक ही उद्देश्य था कि जो लोग दूर-दूर से अपनी आस्था लेकर घाट तक पहुँचते हैं, उन्हें पूजा का यह अनुभव थोड़ा आसान, सुरक्षित और यादगार लगे।
इस मुंबई, दिल्ली और बिहार में की गई पहल पर अभिनेत्री रिधिमा तिवारी ने अपनी राय रखते हुए कहा, “मुझे लगता है कि सन नियो द्वारा किया गया यह छठ पूजा उपक्रम बहुत सुंदर और अनोखा है। सिंदूर, आलता और आरती की पुस्तक को पूजा सामग्री में शामिल करना बहुत ही खूबसूरत सोच है, क्योंकि ये केवल वस्तुएँ नहीं हैं बल्कि हमारी संस्कृति और जड़ों से जुड़ी पहचान हैं। यह विशेष रूप से हमारी महिला दर्शकों के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव बनाने का सही माध्यम है। खास बात यह है कि हमारे दर्शकों की सबसे बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं, जो हमारे कार्यक्रमों से खुदको जोड़ पाती हैं। उनके लिए यह पहल सचमुच दिल को छू लेने वाली है। जो चीज़ इस वर्ष इसे और भी खास बनाती है, वह यह है कि यह पहल अब केवल मुंबई और दिल्ली तक सीमित नहीं रही, बल्कि बिहार के कोने-कोने तक पहुँच रही है, जहाँ के लोगों की आत्मा में यह पर्व है।”
इस पहल के माध्यम से सन नियो ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनके उत्सव केवल पर्दे तक सीमित नहीं हैं बल्कि वे दर्शकों के दिलों में बसते हैं। इस पहल ने भावनाओं, परंपराओं और एकता के असली अर्थ को खूबसूरती से जीवंत किया।
