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बलिया डायट में सेमिनार : भाषाई विविधता पर हुआ मंथन, विशेषज्ञों ने रखे विचार

Ballia News : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) पकवाइनार, बलिया में आयोजित एकदिवसीय सेमिनार “बहुभाषावाद” में भाषा की महत्ता और समाज पर उसके प्रभाव पर गहन चर्चा हुई। सेमिनार का शुभारंभ संस्थान के प्राचार्य एवं उप शिक्षा निदेशक शिवम पांडे ने किया। उन्होंने कहा कि “भाषा और संस्कृति एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी होती हैं। भाषाई समृद्धि हमारी धरोहर है, जो इंसान को अन्य जीवों से अलग पहचान दिलाती है।”
विशिष्ट अतिथि जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अभिषेक मिश्रा ने कहा कि “जो व्यक्ति एक भाषा जानता है वह एकभाषिक, दो भाषाएं जानने वाला द्विभाषिक और एक से अधिक भाषाओं में दक्ष व्यक्ति बहुभाषिक कहलाता है।” उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति की विशिष्ट पहचान उसकी बहुभाषिकता रही है।
डायट प्रवक्ता डा. जितेंद्र गुप्ता ने कहा कि भाषा आत्मा की आवाज होती है, लेकिन यदि इसे रोजगारपरक बना दिया जाए तो समाज के विकास में बड़ा योगदान दे सकती है। वहीं, मनोविज्ञान प्रवक्ता देवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि मनुष्य का सर्वाधिक विकास उसके परिवेश में बोली जाने वाली भाषा से ही होता है।
कार्यक्रम में नगर शिक्षा क्षेत्र के पूर्व एकेडमिक रिसोर्स पर्सन डॉ. शशी भूषण मिश्र ने कहा कि भाषा और समाज का विकास हमेशा साथ-साथ चलता है। जिस समाज में जितनी प्रगति होती है, उसमें भाषा की भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण होती है।
सेमिनार में प्रवक्ता मृत्युंजय सिंह, रामप्रकाश सिंह, किरण सिंह, शाइस्ता अंजुम, राम यश योगी, डॉ. रविरंजन खरे, डॉ. अशफाक, अविनाश सिंह समेत कई शिक्षकों ने सक्रिय सहयोग दिया। कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मी यादव ने किया और अतिथियों का स्वागत डॉ. निर्मला गुप्ता ने पुष्पगुच्छ देकर किया।
सेमिनार की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर पूजन-अर्चन से हुई। स्वागत गीत व सरस्वती वंदना शिखा चतुर्वेदी और अंकित राय ने प्रस्तुत की।