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भारतीय छात्रों पर हमले

अमेरिका में भारतीय छात्रों पर हमले लगातार जारी हैं। हमले की ये घटनाएं परेशान करने वाली हैं। अमेरिका के पर्ड्यू विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रहे एक भारतीय छात्र का शव मिला जबकि शिकागो में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) की पढ़ाई कर रहे एक और भारतीय छात्र के साथ बेरहमी से मार-पीट की गई।
ध्यान रहे अमेरिका में रह रहे भारतीयों को अक्सर नस्लीय भेदभाव का शिकार होना पड़ा है। विदेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों पर हमले का मुद्दा पिछले कुछ समय से चर्चा में है।
शुक्रवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़ों के हिसाब से विदेश में पढ़ रहे 403 छात्रों की मौत 2018 से अब तक हुई है।
इनमें सबसे ज्यादा 91 मौत कनाडा में हुई हैं। जबकि ब्रिटेन 48, रूस में 40, अमेरिका में 36, ऑस्ट्रेलिया में 35, यूक्रेन में 21 और जर्मनी में 20 भारतीय छात्रों की मौत हुई है। गौरतलब है कि पढ़ाई के लिए अमेरिका भारतीय छात्रों की पहली पसंद है। संयुक्त राज्य अमेरिका में पढ़ने वाले दस लाख से अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में से एक चौथाई से अधिक भारतीय छात्र हैं।
ओपन डोर्स रिपोर्ट (ओडीआर) के आंकड़ों के मुताबिक भारत में ऐसे लोगों की संख्या सबसे अधिक है, जिन्होंने वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (ओपीटी) लिया है। अमेरिका में हुई ताजा घटनाओं ने संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले तीन लाख से अधिक भारतीय मूल के छात्रों को चिंतित किया है।
हालांकि विदेश मंत्री ने आश्वासन दिया कि विदेश में पढ़ रहे छात्रों की सुविधा और सुरक्षा सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है। शिकागो में भारतीय छात्र पर हमले के बाद तेलंगाना सरकार ने अमेरिका में एक हेल्प डेस्क के गठन का फैसला किया है। छात्रों को मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए जागरूकता और सहायता प्रणालियों में वृद्धि पर जोर दिया है। ऐसे में विदेश मंत्रालय को भारतीय छात्रों को अमेरिका में सुरक्षित रखने के लिए एक सलाह जारी करने की जरूरत है।