Moradabad News: एनएचएआई के दो इंजीनियरों को पकड़वाया, 3 घंटे पुलिस हिरासत में रहे

ठाकुरद्वारा रोड के चौड़ीकरण का प्रस्ताव मंजूर हो गया है

दोनों सड़कों को 31 किलोमीटर के दायरे में चौड़ा किया जाना है

Moradabad News : ठाकुरद्वारा रोड के चौड़ीकरण का प्रस्ताव मंजूर हो गया है। 86 करोड़ रुपये की लागत से दोनों सड़कों को 31 किलोमीटर के दायरे में चौड़ा किया जाना है। इस रूट की मंजूरी और बजट काफी पहले ही जारी हो चुका है। जिला प्रशासन द्वारा 90 फीसदी कब्जा देने के बाद भी एनएचएआई की ओर से ढिलाई बरते जाने पर जिलाधिकारी ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है।

काम में लगातार बरत रहे थे लापरवाही 

मुरादाबाद ठाकुरद्वारा मार्ग के चौड़ीकरण को लेकर किसानों को मुआवजा भी दिया जा रहा है। एनएचएआई इस पर काम शुरू नहीं कर पा रहा है। जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने बताया कि एनएचएआई के अधिकारियों से कई बार इस बारे में कहा गया लेकिन वे लगातार इस काम में लापरवाही बरत रहे थे। मंगलवार को एनएचएआई के परियोजना निदेशक को कलक्ट्रेट बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं आये। इससे जिलाधिकारी और भी नाराज हो गये। बैठक में प्रभारी भू-अध्याप्ति पदाधिकारी विनय कुमार सिंह के साथ एनएचएआई के एक जेई और एक एई शामिल हुए।

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संतोषजनक जवाब नहीं दे सके इंजीनियर

जिलाधिकारी ने कहा कि जब तीन माह पहले अधिग्रहीत जमीन का 90 फीसदी कब्जा मिल चुका है तो काम धीमा क्यों किया जा रहा है। इस पर इंजीनियर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। धीमी गति से काम करने के आरोप में सिविल लाइंस पुलिस को तत्काल फोन कर बुलाया गया और दोनों इंजीनियरों को थाने में बैठा दिया गया। दोनों इंजीनियर 3 घंटे तक थाने में पुलिस हिरासत में बैठे रहे। जिलाधिकारी की इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया। जिलाधिकारी ने कहा कि हाईवे का निर्माण बेहद महत्वपूर्ण है और इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एनएचएआई को इसे समय से पूरा करना होगा।

दे दिया गया है नब्बे फीसदी कब्जा 

जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने बताया कि पैकेज दो में मुरादाबाद ठाकुरद्वारा रोड का चौड़ीकरण किया जाना है। कुछ स्थानों पर बाइपास भी बनाया जाना है। इसका 90 प्रतिशत कब्जा तीन माह पहले राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को दे दिया गया है। इसके बावजूद एनएचएआई लापरवाही बरत रहा है। परियोजना निदेशक इस कार्य को आगे बढ़ाने में गंभीरता नहीं बरत रहे हैं। इसके चलते प्रोजेक्ट पिछड़ रहा है। इस कारण वहां से भेजे गए इंजीनियरों को थाने में बैठाया गया, ताकि उन्हें सबक मिले और काम तेजी से आगे बढ़े।

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