विश्व एड्स दिवस कल, बड़ों की लापरवाही से बच्चे हो रहे HIV संक्रमित

लखनऊ। एचआईवी और एड्स का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। यह भय ही नुकसान का सबसे बड़ा कारण है। इतना ही नहीं भय और जागरूकता की कमी के चलते बच्चे भी एचआईवी संक्रमित हो रहे हैं। इसकी वजह है कि संक्रमित वयस्क डर और जागरूकता की कमी के चलते जांच नहीं कराते और उनके जब बच्चे होते हैं तो वह भी एचआईवी संक्रमित हो जाते हैं। यह जानकारी केजीएमयू के डॉ. डी. हिमांशू ने विश्व एड्स दिवस से एक दिन पूर्व शनिवार को दी है।

डॉ. डी. हिमांशू ने बताया कि यह लापरवाही ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र में अधिक है। जबकि, सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर इसकी जांच होती है। गर्भावस्था की शुरुआत में ही जांच कराने से एचआईवी की पुष्टि होने पर गर्भ में पल रहे शिशु को वायरस से बचाया जा सकता। उन्होंने बताया कि लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 1 दिसंबर को यह दिवस मनाया जाता है। इस साल इसकी थीम 'इलाज के लिए सही मार्ग' है।

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युवा अधिक चपेट में

डॉ. डी. हिमांशू ने बताया कि 2030 तक एचआईवी की महामारी को समाप्त करने के लक्ष्य और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समाज को शिक्षित करने पर जोर दिया जा रहा है। एचआईवी की चपेट में 25 से 35 साल की उम्र के युवाओं की संख्या अधिक है। जागरूकता का ही नतीजा है कि केजीएमयू के एआरटी सेंटर में कोविड से पहले तक 2500 मरीज पंजीकृत थे। अब यह संख्या बढ़कर 4122 हो गई है। सभी मरीजों को चिन्हित कर उन्हें नियमित दवा देने से ही इस वायरस को हराया सकता है।

दवा काम न करने पर इंजेक्शन कारगर

डॉ. डी. हिमांशू ने बताया कि एचआईवी के मरीजों को एआरटी सेंटर से निशुल्क दवाएं दी जा रही हैं। यह दवाएं टैबलेट के रूप में हैं। बीमारी गंभीर होने की स्थिति में जब इन दवाओं का असर कम हो जाता है। तब इंजेक्शन से वायरस को काबू किया जाता है। यह इंजेक्शन तीन व छह माह के अंतराल में लगाए जाते हैं। हालांकि, जिले में ऐसे गंभीर मरीजों की संख्या शून्य है।

 छह माह में 600 संक्रमित महिलाएं हुईं गर्भवती

एचआईवी संक्रमित महिलाएं भी मां बन सकती हैं उनके बच्चे को इस वायरस की चपेट में आने से बचाया जा सकता है। यूपी SACS प्रोग्राम 2.0 के परियोजना प्रबंधक विमलेश कुमार के मुताबिक बच्चे को जन्म के 72 घंटे के अंदर सिरप दिया जाता है जिससे नवजात में एचआईवी पॉजिटिव होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में करीब 27 ऐसे सेंटर हैं जो एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की मदद करते हैं उनकी काउंसिलिंग करते हैं साथ ही उन्हें इलाज भी उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले छह माह में करीब 600 गर्भवती महिलाएं एचआईवी संक्रमित रजिस्टर की गई हैं। वहीं लखनऊ में 150 के करीब गर्भवती महिलाएं एचआईवाई रजिस्टर हुई हैं।

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