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लखनऊ : SGPGI में फैटी लिवर और मोटापे के लिए विशेष ओपीडी शुरू, हर गुरुवार मिलेगा उपचार
लखनऊ : देश में तेजी से बढ़ रहे फैटी लिवर और मोटापे के मामलों को ध्यान में रखते हुए संजय गांधी पीजीआई (SGPGI) ने मरीजों की सुविधा के लिए विशेष फैटी लिवर एवं ओबेसिटी ओपीडी की शुरुआत की है। यह क्लीनिक एडवांस डायबिटिक सेंटर (ADC) की तीसरी मंजिल पर प्रत्येक गुरुवार को संचालित होगी। गुरुवार को संस्थान के निदेशक प्रो. आर.के. धीमन ने इसका शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. देवेंद्र गुप्ता, हेपेटोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. अमित गोयल और एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रो. सुभाष यादव मौजूद रहे।
हेपेटोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. अमित गोयल ने बताया कि भारत में जीवनशैली संबंधी रोगों में तेज वृद्धि हो रही है। फैटी लिवर और मोटापा इनमें प्रमुख हैं। अध्ययनों के अनुसार, देश के 30–35% वयस्कों में फैटी लिवर की समस्या हो सकती है, जबकि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक 25% भारतीय मोटापे या अधिक वजन से ग्रस्त हैं। चिंताजनक बात यह है कि बच्चों और किशोरों में भी यह समस्या बढ़ रही है।
उन्होंने बताया कि मोटापा, मधुमेह और वसायुक्त लिवर एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। मोटापा शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ाता है, जिससे मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है। लिवर में जमा वसा सूजन, फाइब्रोसिस, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर का कारण भी बन सकती है। इसके साथ ही मोटापा और फैटी लिवर हृदय रोग, किडनी रोग और स्ट्रोक के जोखिम को भी बढ़ाते हैं।
प्रो. गोयल ने सलाह दी कि मोटापे या मधुमेह से पीड़ित सभी लोगों को अल्ट्रासाउंड, फाइब्रोस्कैन, खून की जांच और बॉडी फैट एनालिसिस कराना चाहिए। वजन कम करना फैटी लिवर और मोटापे दोनों के प्रबंधन की सबसे प्रभावी रणनीति है। व्यायाम, संतुलित आहार और आवश्यक दवाओं की मदद से वजन नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हाल ही में कई नई प्रभावी दवाओं को मंजूरी मिली है, जो इन मरीजों के लिए उम्मीद जगा रही हैं।
एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रो. सुभाष यादव ने भी मोटापे और लिवर स्वास्थ्य के आपसी संबंध पर प्रकाश डाला तथा वजन प्रबंधन और मेटाबॉलिक नियंत्रण के महत्व पर जोर दिया।
नई ओपीडी के शुरू होने से फैटी लिवर और मोटापे से जूझ रहे मरीजों को नियमित और विशेष उपचार एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकेगा।
