नेहा सिंह राठौर को बड़ा झटका: ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी मामले में हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

लखनऊ। प्रधानमंत्री पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में लोकगायिका नेहा सिंह राठौर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। यह मामला उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार चुनाव और हिंदू-मुस्लिम राजनीति से जुड़े कथनों से संबंधित है।

न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी की खंडपीठ ने नेहा सिंह राठौर को 26 सितंबर को जांच अधिकारी के सामने पेश होने और पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने तक जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि पहली नजर में उन पर लगे आरोप संज्ञेय अपराध के दायरे में आते हैं, जिनकी जांच पुलिस द्वारा किया जाना आवश्यक है।

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कोर्ट ने कहा कि उनके ट्वीट्स का समय भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये पहलगाम आतंकी हमले के तुरंत बाद पोस्ट किए गए थे। आदेश में कहा गया कि “याचिकाकर्ता को जांच में शामिल होने और सहयोग करने का निर्देश दिया जाता है। वह 26 सितंबर को सुबह 11 बजे जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित हों और पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने तक सहयोग करती रहें।”

गौरतलब है कि नेहा सिंह राठौर के खिलाफ इस मामले में अप्रैल में एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में आरोप है कि उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा था कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी बिहार आए ताकि पाकिस्तान को धमका सकें और राष्ट्रवाद के नाम पर वोट बटोर सकें।

उन्होंने यह भी लिखा था कि आतंकियों को ढूंढने और अपनी गलती स्वीकारने के बजाय बीजेपी देश को युद्ध की ओर धकेलना चाहती है। याचिका में उनके वकील ने तर्क दिया था कि उन्हें संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अपने विचार रखने का अधिकार है और राज्य इसका उल्लंघन नहीं कर सकता।

हालांकि, अदालत ने कहा कि पहली नजर में उनके पोस्ट में प्रधानमंत्री के नाम का अपमानजनक तरीके से उल्लेख किया गया है और उन्होंने भाजपा पर निहित स्वार्थों के लिए पाकिस्तान के साथ युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया है।

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