Lucknow News: महिला दिवस पर वीरांगना वाहिनी का स्थापना समारोह आयोजित

लखनऊ। राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गांधी भवन, लखनऊ में वीरांगना वाहिनी का स्थापना सम्मेलन आयोजित किया गया। इस अवसर पर संयोजिका ऊषा विश्वकर्मा ने कहा कि भारत की वीरांगनाओं के त्याग और बलिदान ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया था, लेकिन वह भारत जैसा बनाना चाहती थीं, वैसा आज तक नहीं बन सका। उन्होंने कहा कि वीरांगना वाहिनी अब उन सपनों को साकार करने का कार्य करेगी, ताकि देश के हर नागरिक, खासतौर पर अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को इज्जत, रोटी और आजादी मिले।

राष्ट्रीय महिला दिवस सरोजिनी नायडू के जन्मदिवस पर मनाया जाता है, जिन्हें आजादी के बाद भारत सरकार ने इस दिन के लिए चुना। वीरांगना वाहिनी की स्थापना, निर्भया आंदोलन के बाद महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए ऊषा विश्वकर्मा के नेतृत्व में हुई। सम्मेलन में दिल्ली से आए समाजशास्त्री और जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा, "महात्मा गांधी के नेतृत्व में चले स्वतंत्रता आंदोलन की मुख्य शक्ति महिलाओं में निहित थी। आज इस मंच पर आकर मुझे महसूस हो रहा है कि भारत की महिला शक्ति एक बार फिर जाग चुकी है। ये वीरांगनाएं शहीदों के सपनों का भारत जरूर बनाएंगी।"

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सम्मेलन में 1974 के जेपी आंदोलन के दौरान अपने कॉलेज छोड़कर पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में काम करने वाली महिलाओं का सम्मान किया गया। सम्मानित होने वालों में महाराष्ट्र की डॉ. मीनाक्षी सखी, झारखंड की किरन, पटना की पूनम, मुंबई की पुतुल, और बंगाल से अनुराधा व झरना शामिल थीं।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार, जेपी आंदोलन के नेता अशोक प्रियदर्शी, सामाजिक कार्यकर्ता विजय प्रताप, दार्शनिक डॉ. राकेश रफीक, और समाजसेवी लाल प्रताप ने भी अपने विचार साझा किए। वीरांगना वाहिनी की ओर से सलोनी, नीत, इरम, नेहा, अनम, अन्नू, साबरा, और नैना ने भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मी ने किया।

सम्मेलन में डेढ़ हजार से अधिक युवतियों और महिलाओं ने भाग लिया, जिन्होंने इस आयोजन को महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में सराहा।

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