लखनऊ: दो घंटे में दिखी पूरी उम्र जी लेने की ललक, वर्षो बाद मिले भूविज्ञानी... बोले फिर भी दिल है हिंदुस्तानी..

लखनऊ।  ज्ञान, भावना-भावुकता और अनुभव के संगम का साक्षी बना लखनऊ विश्वविद्यालय का भूविज्ञान विभाग। अवसर था छात्रों के मिलन का, जिसमें 50 वर्ष पूर्व तक के एमएससी करने वाले छात्र एक दूसरे से मिले तो भावुक हो उठे। प्रसन्न हुए और कुछ साथियों के बिछुड़ने की याद आई तो आंखे नम हो उठी। देश-विदेश से जुटे करीब दो सौ भूवैज्ञानिकों ने एक दूसरे को देख गुनगुनाया कहा...फिर भी दिल है हिंदुस्तानी। यूनिवर्सिटी जियोलॉजी डिपार्टमेंट एल्युमिनाई एसोसिएशन (एलयूजीडीएए) ने रविवार को पूर्व छात्रों का संगम कराया तो दो घंटे के सम्मेलन में पूरी उम्र जी लेने की ललक दिखी। हंसी-ठहाके गूंजे तो जीवन संघर्ष की चर्चा और उपलब्धियों पर शाबासी देने का सिलसिला भी चला।

देश के प्रख्यात वैज्ञानिक बीरबल साहनी के शिष्य और प्रख्यात भूविज्ञानी 80 वर्षीय अशोक साहनी मंच पर मौजूद रहे तो कनाडा से आए उमाशंकर मौर्य और परमाणु वैज्ञानिक धीरज पांडे, डॉ. संजय गोपाल भरथरिया ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।

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छात्रों के लिए प्रेरणा हैं पूर्व छात्र

भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह ने कहा कि पूर्व छात्र वर्तमान छात्रों के लिए सबसे बड़े प्रेरणा हैं। देश-विदेश के चोटी के वैज्ञानिकों की मौजूदगी विभाग के गौरवशाली अतीत का अहसास वर्तमान छात्रों को कराता है। इससे छात्र और भी लंबी लकीर खींच कर विभाग का, विश्वविद्यालय का और राष्ट्र का मान बढ़ाएं यही इस मिलन का उद्देश्य हैं।

उद्योग जगत के अनुभवी भी नियुक्त हो विशिष्ट प्रोफेसर

कुलपति डॉ. आलोक कुमार राय ने कहा कि शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई को पाटने के लिए पूर्व छात्रों और उद्योग के अनुभवों को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करना समय की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय में विशिष्ट प्रोफेसर (प्रोफेसर ऑफ एमिनेंस) के पद पर उद्योग जगत के अनुभवी लोगों का नियुक्त किया जाना चाहिए। जिससे पूर्व छात्रों और उद्योग विशेषज्ञों की व्यावसायिक विशेषज्ञता का लाभ विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को मिल सके।

इन संस्थाओं के प्रमुखों ने लिया हिस्सा

पूर्व छात्र सम्मेलन में 1973 तक के पूर्व छात्रों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर कई संस्थाओं के प्रमुख भी मौजूद रहे जिसमें ओएनजीसी, एएमडी, सीजीडब्लूबी, जीडब्लूडी, एनआईओ, जीसएआई, डीजीएम, आइरआईटी और विभिन्न विश्वविद्यालयों के करीब 153 वैज्ञानिक शामिल हुए।

लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

भूविज्ञान विभाग ने प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक और पूर्व छात्र प्रो. अशोक साहनी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। प्रो. साहनी को नेशनल जियोसाइंस अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उनका पूरी दुनिया में भूविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

गौरवशाली पूर्व छात्र पुरस्कार

डॉ. धीरेज पांडे को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए गौरवशाली पूर्व छात्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डॉ. पांडे परमाणु खनिज निदेशालय के प्रबंध निदेशक हैं। यूरेनियम और लिथियम जैसे खनिजों की खोज में उनका देश में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

गौरवशाली पूर्व छात्र पुरस्कार

डॉ. संजय गोपाल भरथरिया केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के क्षेत्रीय निदेशक हैं। देश के राष्ट्रीय परियोजनाओं में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। वह जलशक्ति मंत्रालय में वरिष्ठ पद पर हैं और विश्वविद्यालय से 1991 में एमएससी हैं।

शैक्षणिक उत्कृष्टता पुरस्कार

स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले अदिति बाजपेई, रश्मि श्रीवास्तव, कल्याणी द्विवेदी, पिमांशिका, संकेत मिश्रा को भी सम्मानित किया गया।

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