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Lal Krishna Advani : आडवाणी का फर्श से अर्श तक का सफर, भाजपा को बुलंदी तक पहुंचाने वाले महारथी
1984 में करारी हार के बाद भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी लगातार देश भर में दौरे करते रहे। रथ यात्रा के बाद उनका कद अचानक बहुत तेजी बढ़ गया..
Lucknow News : 21 अक्टूबर, 1951 को देश की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी गई थी। भाजपा पिछले 9 साल से केंद्र में रहकर रिकॉर्ड बनाने वाली पहली गैर कांग्रेसी पार्टी बन गई है, लेकिन पार्टी की शुरुआत आसान नहीं रही है। केंद्र तक पहुंचने के लिए बहुमत हासिल करने वाली भाजपा ने एक ऐसा दौर भी देखा है जब पार्टी लोकसभा चुनाव में केवल 2 सीटें ही जीत सकी।
आडवाणी ने दिखाया बड़प्पन
6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी का हुआ था गठन
केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद आंतरिक कलह बढ़ने के कारण पार्टी टूट गई। इस कलह के बाद जब 1980 में लोकसभा चुनाव हुए तो पार्टी की करारी हार के बाद नई पार्टी बनाने की योजना बनाई गई। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने।
अटल-आडवाणी की जोड़ी
अटल बिहारी और आडवाणी की जोड़ी राजनीति की बेहद मशहूर जोड़ी के रूप में शुमार है। लालकृष्ण आडवाणी 1957 में राजस्थान से दिल्ली पहुंचे। राजस्थान से दिल्ली आने के बाद सबसे पहला घर जिसमें आडवाणी जी रहे थे, वह अटल जी का आधिकारिक निवास था। यहां उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी और नवनिर्वाचित सांसदों की मदद के लिए बुलाया गया था। इसके बाद दिल्ली इनके काम और राजनीति का अखाड़ा बन गई। अटल बिहारी के साथ ही आडवाणी ने संसद के काम करने के तरीके को सीखा। इसके साथ ही वे जनसंघ के लिए सवाल-जवाब एवं पार्टी की नीतियों को तय करने का काम करते रहे। राजनीति में आडवाणी जी का प्रवेश नगर पालिका से हुआ। आपातकाल के दौरान अटल बिहारी और आडवाणी बैंगलोर में थे। उस दौरान भी दोनों साथ ही जेल गए थे। इसके बाद 1999 में एनडीए की सरकार में आने के बाद भी दोनों की जोड़ी बरकरार रही।
बीजेपी में हिंदुत्व का चेहरा
आडवाणी को बीजेपी में बेहद बुद्धिजीवी, काबिल और मजबूत नेता माना जाता है। उनके भीतर मजबूत और संपन्न भारत का विचार जड़ तक समाहित है। वे पार्टी का हिंदुत्व का कट्टर चेहरा माने जाते थे। वहीं, अटल बिहारी सॉफ्ट रूप थे। 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से ही आडवाणी एकमात्र ऐसे नेता रहे जो सबसे ज्यादा समय तक पार्टी में अध्यक्ष पद पर बने रहे हैं। बतौर सांसद तीन दशक की लंबी पारी खेलने के बाद आडवाणी अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में पहले गृह मंत्री और बाद में (1999-2004) उप-प्रधानमंत्री बने।