दशहरा 2025 : अधर्म पर धर्म की विजय का पर्व, तीन शुभ योगों में मनाया जाएगा विजयादशमी

लखनऊ। आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे देश में विजयादशमी अथवा दशहरा का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व धर्म की अधर्म पर विजय और अच्छाई की बुराई पर जीत का संदेश देता है। इस वर्ष विजयादशमी 2 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन रवि योग, सुकर्मा योग और धृति योग का संयोग बन रहा है, जिससे यह पर्व और अधिक शुभ एवं फलदायी माना जा रहा है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर अधर्म का अंत किया था। साथ ही मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर शक्ति की स्थापना की थी। इसी कारण इसे विजयादशमी कहा जाता है। यह तिथि स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त मानी जाती है, जिसमें विवाह, नए व्यवसाय की शुरुआत, वाहन या संपत्ति की खरीदारी जैसे कार्य विशेष रूप से शुभ होते हैं।

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पूजन और विजय मुहूर्त

  • विजय मुहूर्त : दोपहर 2:09 बजे से 2:56 बजे तक
  • अपराह्न पूजन मुहूर्त : दोपहर 1:21 बजे से 3:44 बजे तक

इस अवधि में अपराजिता देवी, जया-विजया देवी और शमी वृक्ष का पूजन करने की परंपरा है। साथ ही अस्त्र-शस्त्र पूजन, सीमा उल्लंघन (विजय प्रयाण) और अपराजिता पूजन का भी विशेष महत्व बताया गया है।

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रावण दहन की परंपरा

दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। संध्या समय होने वाला यह आयोजन बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करता है और समाज में विजय, साहस और धर्म की स्थापना का संदेश देता है।

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