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उत्तर प्रदेश में कफ सिरप की बिक्री पर रोक, मिलावटी दवाओं पर तेज होगी छापेमारी

लखनऊ: बच्चों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी सख्त रुख अपनाया है। राज्य के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने सभी जिलों के औषधि निरीक्षकों को निर्देश जारी करते हुए प्रदेशभर में संदिग्ध और मिलावटी कफ सिरप की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं।
आदेश में कहा गया है कि श्री सन फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, बेंगलुरु द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13, मई 2025) में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल नामक जहरीला रसायन पाया गया है। यह रसायन मनुष्यों के लिए अत्यंत हानिकारक है। सभी औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे मेडिकल स्टोर, थोक विक्रेताओं और दवा निर्माण इकाइयों से कफ सिरप के नमूने एकत्र कर प्रयोगशाला भेजें। जब तक जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं होती, तब तक इन उत्पादों की बिक्री पूरी तरह रोक दी जाए।
संदिग्ध उत्पादों की पहचान होगी
एफएसडीए ने निर्देश दिया है कि निरीक्षक दुकानों से सिरप के बैच नंबर, निर्माता कंपनी और वितरण चैनल की जानकारी एकत्र करें, ताकि संदिग्ध उत्पादों की पहचान की जा सके। नमूनों की जानकारी गूगल शीट के माध्यम से दर्ज की जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक ही नमूना बार-बार न लिया जाए। सभी सैंपल लखनऊ स्थित प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे जाएंगे।
किडनी फेल और मौत के मामले
मध्य प्रदेश की एक लैब रिपोर्ट में कोल्ड्रिफ सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। यह वही रसायन है जिसके कारण मध्य प्रदेश, राजस्थान और केरल में अब तक 11 से अधिक बच्चों की किडनी फेल होने और मौत की घटनाएं सामने आई हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने की सलाह दी है। मंत्रालय ने कहा है कि दो वर्ष से छोटे बच्चों को किसी भी प्रकार का कफ सिरप नहीं दिया जाना चाहिए, जबकि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा केवल डॉक्टर की सलाह पर ही दी जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों की सामान्य खांसी बिना दवा के भी ठीक हो सकती है, इसलिए घरेलू देखभाल और पर्याप्त तरल पदार्थ पर ध्यान देना चाहिए।
चिकित्सकों की राय
डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. पीयूष उपाध्याय का कहना है कि पांच वर्ष तक के बच्चों को कफ सिरप देना सुरक्षित नहीं है, क्योंकि इसमें मौजूद डेक्सट्रोमेथोर्फेन से सांस की तकलीफ, चक्कर, उल्टी और बेहोशी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
अवंतीबाई महिला चिकित्सालय के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान ने कहा कि बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को किसी भी प्रकार की दवा नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि कई मामलों में बच्चे अस्पताल पहुंचने से पहले ही सिरप का सेवन कर चुके होते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है। उन्होंने कहा कि न केवल डॉक्टरों को सिरप लिखने से बचना चाहिए, बल्कि अभिभावकों को भी इस बारे में जागरूक रहना जरूरी है।