बरेली: पुलिस का दावा- मनीष का अपहरण कर चार लाख फिरौती वसूल करना चाहते थे आरोपी

बरेली: पुलिस के खुलासे के मुताबिक लेखपाल मनीष चंद्र कश्यप की हत्या करने वाला अवधेश कश्यप उर्फ ओमवीर सजातीय होने के साथ उनका अच्छा मिलने वाला भी था। तंगी से गुजरते हुए उसने अपने फुफेरे साले और दो और रिश्तेदारों के साथ मनीष का अपहरण कर चार-पांच लाख रुपये की फिरौती वसूल करने की योजना बनाई थी लेकिन अपहरण के बाद जब मनीष को कहीं रखने का इंतजाम नहीं हुआ तो उन्हें गला घोंटकर मार दिया। इसी के साथ उनकी फिरौती मांगने की हिम्मत भी टूट गई।

फरीदपुर के गांव कपूरपुर निवासी अवधेश कश्यप की निशानदेही पर ही पुलिस ने रविवार को लेखपाल मनीष कश्यप का कंकाल और अपहरण में प्रयुक्त उसकी कार बरामद की। पुलिस के मुताबिक इस मामले में लंबी छानबीन के बाद शक होने पर अवधेश को हिरासत में लिया गया था। उससे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह छह महीने से लेखपाल को जानता था। उसके साथ उसका उठना-बैठना और शराब पीना भी होता रहता था। अवधेश ने बताया कि वह और उसका फुफेरा साला सूरज तंगी के दौर से गुजर रहे थे। इसीलिए उन्होंने लेखपाल के अपहरण की योजना बनाई थी। बाद में इसमें ममिया ससुर और रिश्तेदार नन्हे को भी शामिल किया। सोचा था कि फिरौती में मनीष के परिजनों से चार-पांच लाख वसूलकर उन्हें छोड़ देंगे।

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योजना के मुताबिक 27 नवंबर को अवधेश फरीदपुर रेलवे क्रॉसिंग पर आया, फोन करके मनीष को वहीं बुला लिया। सूरज और अवधेश ने मनीष को ज्यादा शराब पिला दी। मनीष के ढीले पड़ते ही सूरज के मफलर से दोनों ने गला घोटकर उनकी हत्या कर दी। इसके बाद अपनी कार से शव को ले जाकर मिर्जापुर गांव के पास तालाब में फेंक दिया। पुलिस सूरज, नेत्रपाल और नन्हे को तलाश कर रही है।

घर से बरामद हुए मोहर, कार और दस्तावेज

पुलिस ने अवधेश उर्फ ओमवीर के घर से लेखपाल की मोहर, कुछ दस्तावेज और घटना में प्रयुक्त अर्टिगा कार बरामद होने की बात कही है। अवधेश ने पुलिस को बताया कि लेखपाल की हत्या के बाद उसने रोज अखबार पढ़ना शुरू कर दिया था। हत्या में में खल्लपुर के जनप्रतिनिधि का नाम आने से वह बेफ्रिक हो गया था। हत्या के बाद कुछ दिन तक वह इधर-उधर रहा। मामला शांत पड़ने लगा तो अपने घर लौट आया।वह फिरौती मांगने की योजना बना रहा था कि छह नवंबर को लेखपाल के परिजनों ने कलेक्ट्रेट पर हंगामा कर दिया और पुलिस सक्रिय हो गई। इसके बाद वह शांत होकर बैठ गया।


कॉल डिटेल से अवधेश तक पहुंची पुलिस
घटना का खुलासा करने के लिए एसएसपी अनुराग आर्य ने चार टीमें बनाई थीं। एक सर्विलांस सेल, एसओजी की दो टीमें, फतेहगंज पश्चिमी पुलिस की टीम का गठन किया था। सर्विलांस टीम ने लेखपाल के गायब होने से 15 दिन पहले और बाद की कॉल डिटेल निकाली तो अवधेश का नंबर उसमें आ गया। इसी आधार पर उसे हिरासत में लिया गया। जांच में पैमाइश या जमीन जैसा कोई मामला नहीं निकला। पुलिस ने अवधेश पर जरा सख्ती दिखाई तो उसने सबकुछ उगल दिया।

कोई रखने को तैयार नहीं हुआ तो लिया हत्या का निर्णय
अवधेश के मुताबिक 27 नवंबर को अपहरण के बाद उसने अपने एक-दो परिचितों को फोन करके मनीष को छिपाने की बात की लेकिन कोई इसके लिए तैयार नहीं हुआ। इस पर दोनों ने उसी दिन गला दबाकर उनकी हत्या कर दी। इसी के बाद लेखपाल का फोन स्विच ऑफ हो गया।

जंगली कुत्तों ने खूब नोचा शव पुलिस का कहना है कि मनीष की हत्या करने के बाद अवधेश और सूरज उनका शव कार से कैंट क्षेत्र के गांव मिर्जापुर ले गए। वहां तालाब में शव फेंककर भाग निकले। तालाब में पड़े शव को जंगली कुत्तों ने बाहर खींच लिया और उसके बाद पूरे शव को नोचकर खा गए। रविवार को पुलिस ने जब शव बरामद किया तो सिर्फ खोपड़ी और हड्डियां ही बची थीं। शव कई दिन तक खुला पड़ा रहा, लेकिन उस रास्ते पर निकलने वाले किसी ने पुलिस को सूचना नहीं दी। कुत्तों ने शव को इतना बुरी तरह नोचा कि दो मीटर दायरे में हड्डियां और कपड़े बिखरे पड़े थे। पुलिस अब दूसरे आरोपियों को तलाश कर रही है।

घोटाला खोलने के कारण हुई हत्या
शव की पहचान कराने के लिए पुलिस ने लेखपाल मनीष के भाई विष्णु, मां मोरकली और अन्य परिजनों को पोस्टमार्टम हाउस पर बुलाया। हड्डियों में तब्दील हो चुके शव को तो परिजन नहीं पहचान सके लेकिन कपड़े पहचान लिए। लेखपाल के भाई विष्णु ने कहा कि पुलिस चाहे जो कहे, उनके भाई की हत्या जमीन घोटाला खोलने के कारण ही की गई है।विष्णु ने कहा कि इसके पीछे जिन लोगों का हाथ है, उनसे मिलकर अधिकारी मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए मनगढ़ंत कहानी बनाई गई है। उन्होंने मांग की कि शव का डीएनए टेस्ट भी कराया जाए। मनीष की मां ने फरीदपुर पुलिस पर मदद न करने का आरोप लगाया। कहा कि अगर पुलिस ने लापरवाही न की होती तो उनके बेटे की जान न जाती।

उधर, गांव खल्लपुर में भी लेखपाल की हत्या जमीन के विवाद में किए जाने की चर्चा चलती रही। लोगों का कहना था कि अवधेश का भी कुछ लोगों से जमीन का विवाद था जिसकी पैमाइश मनीष कश्यप कर रहे थे। अवधेश को शक हो गया था कि मनीष दूसरे पक्ष का साथ दे रहे हैं। इसीलिए उसने 27 नवंबर को मनीष को शराब पिलाने के बहाने बुलाया और हत्या कर शव को फेक दिया। पुलिस इसे फिरौती के लिए अपहरण और हत्या का मामला बता तो रही है लेकिन इसमें कई झोल हैं।

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