बरेली: डॉ. छाबड़ा की डिवाइस ने विदेश में भी छोड़ी छाप, जानिए क्या है खासियत

बरेली। बरेली से मुझे खास लगाव है, क्योंकि मेरा बचपन यहां की गली-मोहल्लों में बीता है, कोई भी मरीज मेरे पास आकर कहता है कि वह बरेली से है तो पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं। ये बातें रविवार को आईएमए की ओर से आयोजित वरिष्ठ नागरिक सम्मान कार्यक्रम में शिरकत करने आए सर गंगाराम हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जरी विभाग के चेयरमैन डॉ. सतनाम सिंह छाबड़ा ने कहीं।

उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय शुक्ला के आग्रह पर निजी होटल में आयोजित प्रेसवार्ता में बताया कि वह शहर के मॉडल टाउन कॉलोनी के मूल निवासी हैं। अजय शुक्ला उनके पुराने मित्रों में से एक हैं, वह 15 साल बाद बरेली आए हैं। वर्ष 1991 में मेडिकल की पढ़ाई जब पूरी कर आए तो बरेली में उनके अलावा अन्य कोई न्यूरो सर्जन नहीं था, उस वक्त अच्छे उपकरणों वाले अस्पताल यहां न होने के चलते उन्हें दिल्ली कूच करना पड़ा। उन्होंने अपने नाम से डॉ. छाबड़ा डिवाइस तैयार की है, जिसका एंडोस्कोपी में विदेशों में भी इस्तेमाल हो रहा है।

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न्यूरो में एंडोस्कोपी सर्जरी का चलन तेज, रोबोटिक है अभी कम
डा. सतनाम ने बताया कि मौजूदा समय में न्यूरो सर्जरी में एंडोस्कोपी सर्जरी यानी दूरबीन विधि का चलन काफी तेज है, ये सर्जरी दिनों दिन एडवांस होती जा रही है, इसका आकलन इससे ही किया जा सकता है कि एंडोस्कोपी विधि से दिमाग के ट्यूमर को नाक से चंद मिनटों में बाहर निकाल दिया जाता है। इसकी तुलना में अभी रोबोटिक सर्जरी का चलन कम है।

हादसा होने पर न करें देरी
डॉ. सतनाम सिंह बताते हैं कि हादसा होने पर छोटी से छोटी चोट को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। कई बार छोटे एक्सीडेंट के बाद भी रक्त का थक्का दिमाग में बन जाता है, जिसका पता बाद में चलता है, जो कि जानलेवा साबित हो सकता है, इसलिए कुशल चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।

साइटिका से बुजुर्ग ज्यादा प्रभावित
साइटिका एक तरह का दर्द है, जो पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर एक या दोनों पैरों तक फैलता है। अधिक दिनों तक अगर ये दर्द बंद नहीं होता है तो इसको नजर अंदाज न करें, विशेष कर ये समस्या बुजुर्गों में अधिक देखी जा रही है, कई बार इलाज देरी से शुरू होने पर 25 से 30 फीसदी मरीजों को सर्जरी करानी पड़ती है।

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