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‘रूप–अरूप’ और ‘मां मुझे टैगोर बना दे’ के नाम रहा संकल्प रंगोत्सव का दूसरा दिन
बलिया। तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह संकल्प रंगोत्सव के दूसरे दिन रंगमंच की सशक्त प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावनात्मक और बौद्धिक रूप से झकझोर दिया। दिल्ली के यूनिकॉर्न एक्टर्स स्टूडियो द्वारा मंचित नाटक ‘रूप–अरूप’ और जम्मू से आए रंग निर्देशक लकी गुप्ता की एकल प्रस्तुति ‘मां मुझे टैगोर बना दे’ को दर्शकों ने खूब सराहा।
सुप्रसिद्ध रंग निर्देशक स्व. त्रिपुरारी शर्मा द्वारा लिखित व निर्देशित ‘रूप–अरूप’ गहन शोध पर आधारित नाटक है, जो समाज को नए सिरे से सोचने को विवश करता है। यह नाटक उस पुरुष के आंतरिक द्वंद्व और विस्थापन की कथा है, जो मंच पर स्त्री रूप को जीवंत करता है और उसी रूप से इतना बंध जाता है कि उसके बाहर का संसार उसे भयभीत करने लगता है। नायक के अस्तित्व का सवाल तब और गहराता है, जब वह पहली बार स्त्री के मंच पर आने से अपने विस्थापन की आशंका महसूस करता है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित हैप्पी रणजीत और गौरी देवल ने प्रभावशाली अभिनय से इस कथा को जीवंत कर दिया।

दूसरी प्रस्तुति ‘मां मुझे टैगोर बना दे’ मोहन भंडारी द्वारा लिखित और लकी गुप्ता द्वारा निर्देशित व अभिनीत एकल नाटक रहा। यह नाटक भावुक और प्रेरक होने के साथ उस बच्चे के सपनों का प्रतीक है, जो महान बनने के लिए मार्गदर्शन और शक्ति चाहता है। यहां टैगोर बनना केवल कवि बनना नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में ज्ञान, संवेदना और सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प है।
लकी गुप्ता ने केवल एक अंगोछे की सहायता से छात्र, शिक्षक, गांव के मुखिया जैसे कई पात्रों को मंच पर उतारकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह प्रस्तुति इस बात का प्रमाण बनी कि सच्चे कलाकार के लिए वेशभूषा, मेकअप या भव्य मंच सज्जा नहीं, बल्कि अभिनय की सच्चाई मायने रखती है।
नाट्य प्रस्तुतियों से पहले वाराणसी से आए सुप्रसिद्ध लोकगायक दुर्गेश उपाध्याय ने अपनी लोकगायकी से समां बांधा। उनके बारहमासा और ‘निमिया के डाढ़ जनि कटिह ए बाबा’ ने श्रोताओं को भावुक कर दिया। वहीं एक्सप्रेशन कल्चरल सोसायटी द्वारा ट्विंकल गुप्ता के निर्देशन में प्रस्तुत झिंझिया और गोदना नृत्य पर दर्शक झूमते नजर आए।


कार्यक्रम का उद्घाटन वरिष्ठ कोषाधिकारी आनन्द दूबे ने दीप प्रज्वलित कर किया। आयोजन स्थल पर लगी कला और पुस्तक प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र बनी रही। समापन पर सभी कलाकारों को अंगवस्त्र व प्रतीक चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। आभार संकल्प के सचिव आशीष त्रिवेदी ने व्यक्त किया, जबकि संचालन अचिंत्य त्रिपाठी ने किया।
