कैसा होगा 2025 का ददरी मेला: जानें ले-आउट और 10 खास बातें

बलिया: जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने ददरी मेला 2025 के लिए तैयारियों की समीक्षा करते हुए मेला क्षेत्र के ले-आउट नक्शे को स्वीकृत कर धरातल पर उतारने के निर्देश दिए हैं। मुख्य राजस्व अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष का ददरी मेला कई नई विशेषताओं के साथ आयोजित होगा।

ददरी मेला 2025 की 10 प्रमुख विशेषताएं 

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सांस्कृतिक और धार्मिक चौराहे

मेला क्षेत्र में बनने वाले चौराहों को बलिया की परंपरा, आस्था और गौरव से जोड़ा गया है। इनमें महर्षि भृगु चौराहा, दर्दर मुनि चौराहा, मां दुर्गा शक्ति चौराहा, श्री गणेश चौराहा, शहीद चौक और सूरजताल जैसे नाम शामिल हैं।

भारतेंदु मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम

पूर्व की भांति भारतेंदु मंच मेला क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा, जहां शास्त्रीय और लोक विधा दोनों को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी।

सरकारी योजनाओं की प्रदर्शनी

कृषि, समाज कल्याण और पंचायत राज जैसे विभाग अपनी योजनाओं से जुड़ी प्रदर्शनी लगाएंगे, जिससे आमजन को जानकारी और लाभ मिल सके।

विस्तृत मार्ग और वेंडर जोन

मेला क्षेत्र में 70 फीट चौड़े रास्ते बनाए जाएंगे। बीच में 6x6 फीट की जगह तहबाजारी के लिए आरक्षित होगी, जिससे 2000 से अधिक फुटकर वेंडर अपनी दुकानें लगा सकेंगे।

दुकानों की संख्या और बिजली सुविधा

इस बार लगभग 700 दुकानें लगाई जाएंगी, जो पिछले वर्ष से 100 अधिक हैं। प्रत्येक व्यापारी को प्रति लठ्ठा 10 वॉट मुफ्त बिजली दी जाएगी।

व्यापारियों के लिए शिकायत प्रकोष्ठ

व्यापारियों की सुविधा हेतु अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व) की अध्यक्षता में शिकायत निवारण प्रकोष्ठ बनाया गया है, जिसमें दो डिप्टी कलेक्टर सहयोग करेंगे।

साइट आवंटन में पारदर्शिता

दुकानों का आवंटन व्यापारियों की सुविधा और पारदर्शिता के आधार पर किया जाएगा।

मेला कैंप की शुरुआत

राजस्व और नगर पालिका की संयुक्त टीम ने मेला क्षेत्र में कैंप संचालन शुरू कर दिया है। जुताई का कार्य तेजी से जारी है और तीन दिन में इसका स्वरूप स्पष्ट होगा।

व्यवस्थित पार्किंग व्यवस्था

मुख्य मार्ग के किनारे चार पार्किंग स्थल बनाए गए हैं। इनकी व्यवस्था ARTO विभाग की मदद से की जाएगी।

धार्मिक और प्रशासनिक समन्वय

इस बार मेला प्रबंधन सुप्रबंधन, पारदर्शिता, सुविधा और धार्मिक आस्था के समन्वय के साथ बलिया की राष्ट्रीय पहचान को समर्पित रहेगा।

ददरी मेला 2025 इस बार न सिर्फ आस्था और संस्कृति का संगम बनेगा, बल्कि बेहतर प्रबंधन, व्यापारी सुविधाओं और पारदर्शी व्यवस्था के लिए भी याद किया जाएगा।

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