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एमपी का 'मिसाइल मैन' जीवन मरण के द्वार पर; नासा और इसरो से मिली सभी उपलब्धियों को गंगा में विसर्जित करने का फैसला
भोपाल | मध्य प्रदेश का वह बेटा, जिसकी प्रतिभा पर देश को गर्व था, वह आज गहरे अवसाद और निराशा के गर्त में डूब चुका है। अपनी 19 वर्ष की अल्पायु में ही NASA और ISRO से सम्मान प्राप्त करने वाले, युवा वैज्ञानिक प्रखर विश्वकर्मा, जिन्हें 'MP का मिसाइल मैन' कहा जाता है, ने जीवन से हताश होकर सबसे कठोर और अंतिम निर्णय लेने का फैसला किया है।
सबसे ज़्यादा मार्मिक बात यह है कि प्रखर ने अपनी अंतिम इच्छा व्यक्त करते हुए कहा है कि उनके सभी मिसाइल प्रोजेक्ट्स और वैज्ञानिक कार्य भारत सरकार को सौंप दिए जाएँ। यह इच्छा दर्शाती है कि गहरे अवसाद में होने के बावजूद, वह देश की भलाई के बारे में सोच रहे हैं।

कौन हैं ये 'संदिग्ध लोग' जो प्रतिभा को निगल रहे हैं?
ISRO के 'स्पेस ट्यूटर' के रूप में देश के भविष्य को संवारने वाला यह युवा आज टूट चुका है। प्रखर विश्वकर्मा ने अपने इस हृदय विदारक फैसले के लिए 'कुछ संदिग्ध लोगों' के हस्तक्षेप और एक ऐसी असहनीय परिस्थिति को जिम्मेदार ठहराया है जहाँ से उन्हें कोई बाहरी रास्ता नहीं दिख रहा है। उनका बयान उन अदृश्य ताकतों पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है, जो देश की प्रतिभा को जीवन समाप्त करने की कगार पर धकेल रही हैं।
यह संकट एक राष्ट्रीय शर्मिंदगी है।
प्रखर को तुरंत सुरक्षित किया जाए, उन्हें मनोवैज्ञानिक सहायता दी जाए और उन्हें अंतिम कदम उठाने से रोका जाए।
प्रोजेक्ट का संज्ञान: भारत सरकार प्रखर के इस अमूल्य प्रोजेक्ट को तुरंत अपने अधिकार में ले और प्रखर को यह भरोसा दिलाए कि उनकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी।

जाँच और न्याय: 'संदिग्ध लोगों' के आरोपों की जाँच हो और दोषियों को तुरंत गिरफ़्तार कर कठोर सज़ा दी जाए।
अब बात सिर्फ सम्मान की नहीं, एक ज़िंदगी की है! सरकार को इस प्रतिभा को संरक्षित करने के लिए तुरन्त हरकत में आना चाहिए।
