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अयोध्या : प्रधानमंत्री मोदी बोले, सदियों की वेदना आज विराम पा रही, राम मंदिर का संकल्प सिद्धि को प्राप्त
अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा धर्मध्वज के आरोहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के रामभक्तों को संबोधित किया। उन्होंने अपने वक्तव्य की शुरुआत “सियावर रामचंद्र की जय, जय सियाराम” के उद्घोष से की और कहा कि आज अयोध्या भारत की सांस्कृतिक चेतना के नए उत्कर्ष की साक्षी बन रही है। सदियों पुरानी पीड़ा का अंत हो रहा है और सदियों पुराना संकल्प आज पूरा हो रहा है।
धर्मध्वज भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ध्वज केवल एक ध्वज नहीं बल्कि भारत की सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है। इसका भगवा रंग सूर्यवंश की परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है, ओम का चिह्न आध्यात्मिक चेतना को दर्शाता है और कोविदार वृक्ष रामराज्य की पुण्य स्मृति का प्रतिरूप है। यह ध्वज संघर्ष, संकल्प और सफलता की कहानी कहता है।
उन्होंने कहा कि सदियों तक यह ध्वज सत्य, धर्म, कर्तव्य और आदर्शों का उद्घोष करता रहेगा। यह प्रेरणा देगा कि कर्म ही प्रधान है और समाज में शांति-सौहार्द के लिए भेदभाव से मुक्त वातावरण बनाना होगा।
धर्मध्वज मंदिर के ध्येय और संकल्प का प्रतीक
पीएम मोदी ने कहा कि यह ध्वज उन भक्तों के लिए भी पुण्य का माध्यम है जो मंदिर नहीं आ पाते और दूर से प्रणाम करते हैं। यह रामलला की जन्मभूमि के दर्शन कराएगा और युगों तक उनके संदेश मानवता तक पहुंचाएगा। उन्होंने देश भर से मंदिर निर्माण में सहयोग देने वाले संतों, दानवीरों, श्रमवीरों और कारीगरों के प्रति आभार जताया।
अयोध्या: आचरण, आदर्श और समाज की ऊर्जा का केंद्र
प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या वह भूमि है जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं। यही वह स्थान है जहां से श्रीराम ने अपनी जीवन यात्रा शुरू की और जहां लौटकर वे मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में पूजित हुए। उन्होंने कहा कि श्रीराम के आदर्शों के पीछे ऋषि-महर्षियों, निषादराज, शबरी और भक्त हनुमान सहित अनेक पात्रों का योगदान है।
राम मंदिर—राष्ट्रीय सामूहिक चेतना का प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण के लिए समाज की सामूहिक शक्ति आवश्यक है, और राम मंदिर का दिव्य प्रांगण इसी सामूहिक चेतना का प्रतीक बन रहा है। मंदिर परिसर में सप्त ऋषियों और भक्तों के प्रतीक स्वरूप विभिन्न मंदिर एवं प्रतिमाएं स्थापित हैं।
उन्होंने कहा कि “राम भेद से नहीं, भाव से जुड़ते हैं।” उनकी दृष्टि में जन्म, कुल या पद नहीं, बल्कि भक्ति और मूल्य सर्वोपरि हैं।
2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य—राम के आदर्श मार्ग पर चलने का आह्वान
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित बनाने के लिए हमें राम के आदर्शों को आत्मसात करना होगा—सत्य, धैर्य, परोपकार, अनुशासन और कर्तव्य भावना।
उन्होंने कहा कि आने वाले हजार वर्षों की नींव मजबूत करने के लिए मैकाले द्वारा बोई गई मानसिक गुलामी को अगले 10 वर्षों में समाप्त करना आवश्यक है। उन्होंने भारत की लोकतांत्रिक जड़ों का उल्लेख करते हुए कहा कि देश की सामर्थ्य पहचान हमारी अपनी विरासत है, न कि विदेशी अवधारणाएं।
अयोध्या—पौराणिकता और आधुनिकता का संगम
पीएम मोदी ने बताया कि अयोध्या तेजी से विकसित हो रही है। नए एयरपोर्ट, भव्य रेलवे स्टेशन, रामपथ, भक्तिपथ, जन्मभूमि पथ जैसे प्रोजेक्ट शहर का कायाकल्प कर रहे हैं। प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अब तक लगभग 45 करोड़ श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी भारत के लिए निर्णायक होगी और राम के आदर्श इस यात्रा को दिशा देंगे।
रामराज्य से प्रेरित भारत का निर्माण
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें ऐसा भारत बनाना है जहां नीतियों में सत्य, शक्ति में अनुशासन, आचरण में श्रेष्ठता और समाज में समभाव हो। जहाँ राष्ट्रहित सर्वोपरि हो और सभी वर्ग—महिला, दलित, पिछड़े, आदिवासी, किसान, श्रमिक और युवा—विकास के केंद्र में हों।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अनेक संत और गणमान्य उपस्थित रहे। समारोह का संचालन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने किया।
