उपराष्ट्रपति ने शिक्षा के व्यावसायीकरण पर जताई चिंता, कहा- नई शिक्षा नीति देश के भविष्य की रक्षा करेगी

ग्वालियर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को शिक्षा के व्यावसायीकरण पर चिंता जताई और इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा को सेवा की भावना से दिया जाना चाहिए। धनखड़ ने शिक्षा को एक महत्वपूर्ण साधन करार देते हुए कहा कि यह समानता ला सकती है, लोकतंत्र को मजबूत बना सकती है और दुनिया में समृद्धि सुनिश्चित कर सकती है। 

उपराष्ट्रपति ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में सिंधिया राजवंश के जीवाजीराव सिंधिया की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। धनखड़ ने कहा कि महाराजा जीवाजीराव सिंधिया ने शिक्षा में रुचि दिखाने का मार्ग प्रशस्त किया था। उन्होंने उद्योगों, व्यवसायों और संस्थानों से शिक्षा में निवेश करने का आग्रह किया। 

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उपराष्ट्रपति ने कहा, “मैं उद्योग, व्यापार जगत और कॉरपोरेट्स तथा उनके संघों से अपील करता हूं कि वे अपने सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) फंड के लिए नीतिगत निर्णय लें ताकि संस्थान स्थापित किए जा सकें और उन्हें विकसित किया जा सके क्योंकि शिक्षा में निवेश न केवल वर्तमान के लिए बल्कि भविष्य के लिए भी है और यह हमारे विकास को और आगे बढ़ाने में मदद करता है।” 

उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि प्रत्येक व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और देश में यह तेजी से हो रहा है। धनखड़ ने कहा, “लेकिन यह चिंता का विषय है। इस पर विचार और मंथन की जरूरत है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षा का व्यवसायीकरण न हो। शिक्षा एक सेवा है। हमें इसे सेवा की भावना से अपनाना चाहिए।” 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि तकनीकी बदलाव तेजी से हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “नए युग की तकनीक, जिसे कृत्रिम बुद्धिमता और मशीन लर्निंग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है बेहद तेजी से बदल रही है। यह हमारे जीवन में बदलाव ला रही है।” धनखड़ ने कहा कि ऐसे शैक्षणिक संगठनों का कर्तव्य है कि वे शोध करें और उन्हें इन तकनीकों की चुनौतियों को अवसरों में बदलना चाहिए। 

उन्होंने कहा, “मुझे कोई संदेह नहीं है कि यह विश्वविद्यालय ऐसा करेगा।” उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के साथ अपने संबंधों को याद किया। धनखड़ ने कहा कि शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन और प्रणाली है, जिसके माध्यम से परिवर्तन लाया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि यह दुनिया में समानता, लोकतंत्र और समृद्धि सुनिश्चित कर सकती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा बनाई गई नई शिक्षा नीति देश के भविष्य की रक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि जो विश्वविद्यालय इस नीति पर ध्यान देगा, वह उत्कृष्ट प्रदर्शन करेगा। 

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