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'वंदे मातरम' में देखने मिलेगा भारत की संस्कृति और स्वतंत्रता का अद्भुत संगम

- 23 और 24 अगस्त, 2025 को भारत की स्वतंत्रता की 78वीं और जश्न-ए-अदब साहित्योत्सव की 14वीं वर्षगाँठ का गवाह बनेगा 'वंदे मातरम'
- शास्त्रीय गायन, गज़ल और लोकसंगीत, सूफी और पारंपरिक गीत, कवि सम्मेलन, मुशायरा, पैनल चर्चाएँ, नाट्य और नृत्य आदि पर होंगी दमदार प्रस्तुतियाँ
नई दिल्ली, अगस्त 2025: यह वर्ष अपने आप में बेहद खास है, क्योंकि यह अपने साथ सांस्कृतिक उमंग और देशभक्ति की खुशबू लेकर आया है। एक तरफ भारत अपनी स्वतंत्रता की 78वीं और वहीं दूसरी तरफ जश्न-ए-अदब साहित्योत्सव अपनी 14वीं वर्षगाँठ मना रहा है। इस अवसर पर जश्न-ए-अदब द्वारा 'वंदे मातरम' नामक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जो साहित्य, संगीत, कला और संस्कृति के खूबसूरत संगम को दर्शाएगा। यह महोत्सव सिर्फ प्रस्तुतियों का आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर और नई पीढ़ी के बीच संवाद का एक जीवंत मंच बनकर उभरेगा।
कार्यक्रम का उद्घाटन होगा भव्य संगीत और नृत्य से, जहाँ शास्त्रीय गायन और कथक प्रस्तुतियों के माध्यम से इतिहास, संस्कृति और भावनाओं का संगम दिखाई देगा। इसके बाद साहित्यिक सत्रों में लेखक और कवि अपने विचार साझा करेंगे, जिसमें युवा प्रतिभाओं को भी मंच मिलेगा। शाम को कवियों और शायरों की महफिल सजेगी, जहाँ नामचीन हस्तियाँ अपने शब्दों और भावनाओं से दर्शकों के दिलों को छू लेंगी। इस दिन मंच पर विभिन्न समूहों और कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियाँ दी जाएँगी, जिनमें अस्मिता थिएटर ग्रुप, मास्टर अधिराज चौधरी, विद्या लाल एंड ग्रुप, विद्या शाह और डॉ. यश गुलाटी शामिल हैं। इसके अलावा, फरहत एहसास, मंगल नसीम, गोविंद गुलशन, सुनील पंवार, जावेद मुशिरी, कुंवर रंजीत चौहान, आज़म शाकिरी, रहमान मूसव्वर, बिनोद सिन्हा, गुलज़ार वानी और पवन कुमार भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे।
दूसरे दिन की शुरुआत शास्त्रीय और पारंपरिक संगीत के साथ होगी, इसके बाद हास्य और मनोरंजन के रंग बिखेरने वाले कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को हँसी और आनंद देंगे। शाम को शायरी और संगीत का संगम, कवि सम्मेलन और मुशायरा आयोजित किया जाएगा, जो महोत्सव का सबसे यादगार हिस्सा बनेगा। दूसरे दिन युवा कवियों और समूहों की प्रस्तुति की बागडौर अनीस सबरी एंड ग्रुप के हाथों में होगी। इसके साथ ही सांगीतिक और साहित्यिक प्रस्तुतियों में पद्मभूषण पं. साजन मिश्रा और स्वरांश मिश्रा तथा प्रो. वसीम बरेलवी, पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा और प्रो. अशोक चक्रधर जैसे नामचीन कवि अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे।
जश्न-ए-अदब के संस्थापक कुँवर रंजीत चौहान कहते हैं, "हमारा उद्देश्य सिर्फ एक कार्यक्रम आयोजित करना नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, कला और साहित्य की जीवंतता को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना है। वंदे मातरम कार्यक्रम के माध्यम से हम शब्दों, सुरों और भावनाओं के जरिए देशभक्ति और सांस्कृतिक गौरव का उत्सव मनाना चाहते हैं।"
इस दो दिवसीय महोत्सव में हर उम्र और रुचि के लोगों के लिए कुछ न कुछ होगा। चाहे आप साहित्य के शौकीन हों, संगीत प्रेमी हों, नृत्य और रंगमंच के प्रेमी हों या कला और संस्कृति के दीवाने जश्न-ए-अदब में हर दर्शक अपनी दुनिया का आनंद महसूस करेगा। कुल मिलाकर, 'वंदे मातरम' सिर्फ एक महोत्सव नहीं, बल्कि देशभक्ति, कला और संस्कृति का जीवंत अनुभव प्रस्तुत करेगा, जो शब्दों, सुरों और प्रस्तुतियों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत को गर्व के साथ प्रदर्शित करेगा।