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वृक्षारोपण योजना के तहत बालू बंदोबस्तधारियों को पटना जिला सोन क्षेत्र में लगाना था 7840 पेड़, ! नहीं किया वृक्षारोपण कब करेंगे फ़ाइन
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पटना ( अ सं ) । मंत्री जी के चिल्लाहट का कोई असर सिस्टम पर नहीं है सच्चाई तो ऐसी हो गयी है की पदाधिकारी, मंत्री जी के बातों को गीदड़भभकी मानने लगे हैं । खनन निरीक्षकों के संरक्षण में बालू बंदोबस्तघारी खनन अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन कर रहे है और दिन - रात अवैध बालू खनन में लगा हुआ है । मामला जब सर से ऊपर तक जाता है तो उदाहरण के लिए एक के खिलाफ कार्रवाई कर विभाग सुर्खियां बटोरने में कोई कसर नहीं छोड़ती है ।
ऐसे तो पटना जिला के अधिकांश बालू घाटों पर अवैध बालू खनन का शिकायतें हैं लेकिन कार्रवाई मात्र एक पर हुई है । बालू घाट संख्या- 10 पर ई सी एरिया से बाहर खनन करने पर क़रीब 50 लाख रूपए का फ़ाइन का प्रस्ताव खनन निरीक्षक ने जिला खनन पदाधिकारी को दिया है । अवैध खनन से जुड़े अन्य शिकायतों पर भी खनन निरीक्षकों को गंभीरता दिखाने की ज़रूरत है । जीओ अर्थ एप के द्वारा देखेंगे तो पाएंगे की बालू बंदोबस्तधारियों ने सोन नदी की दुर्दशा कर रखी है । बिना एनओसी के प्राकृतिक धारा - प्रवाह को अवरुद्ध करते हुए सैकड़ों बांध बना दिया गया है । जिसमें दबकर सैकड़ों जलचर मर गये हैं और सोन नदी प्रदूषित हो गई है । लेकिन खनन निरीक्षकों को यहं बांध दिखाई नहीं देता या फिर देखना नहीं चाहते हैं ।
खनन स्वीकृति मिलने के पूर्व ख़ानापूर्ति के तौर पर ही जिला प्रशासन के अपर समाहर्ता ( एडीएम ) व बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( बीएसपीसीबी ) के पर्यावरण सलाहकार के मौजूदगी में जन सुनवाई हुई थी । इसमें निर्णय लिया गया था की पटना जिला सोन तटवर्ती इलाक़ा जहां खनन होना है उस क्षेत्रों में बालू बंदोबस्तघारी वृक्षारोपण करेंगे और वृक्षों को सुरक्षित रखने के लिए दो- दो माली बहाल करेंगे जो स्थानीय होगा । पटना जिला मे 15 बालू बंदोबस्तधारियों को पर्यावरण की शुद्धता के लिए 7840 वृक्ष लगाना था । लेकिन एक वर्ष बीतने पर है बालू बंदोबस्तधारियों ने एक भी वृक्ष नहीं लगाया है । जो स्पष्ट रूप से बालू खनन अधिनियम का उल्लंघन है । किसी बंदोबस्तधारी ने वृक्षारोपण नहीं किया है इनको कब फाइन किया जाएगा । अभी तक खनन निरीक्षकों ने वृक्षारोपण नहीं करने वाले बालू बंदोबस्तघारियों पर फाइन करने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है ।
वृक्षारोपण योजना के तहत पटना जिला घाट संख्या-1 , बंदोबस्तघारी - शिव प्रताप सिंह को 690 पेड़, घाट संख्या- 2, रंजन एंजीकॉम प्रा. लि . को 490 पेड़, घाट संख्या -3, राणा इंटरप्राइजेज को 570 , घाट संख्या- 4, एकलव्या स्टोन एंड माइंस को 290 , घाट संख्या- 5 , धमाश सिविल कंस्ट्रक्शन को 450 , घाट संख्या- 6 , ललन कुमार, घाट संख्या- 7 , मोर मुकुट मार्केटिंग प्रा. लि. को 540 पेड़ , घाट संख्या- 8 , देनेन्द्र इक्युमेंट को 450 , घाट संख्या- 10 , संजय कुमार को 500 , घाट संख्या-12 , मधुवेन्द्र कुमार को 690 , घाट संख्या- 13 , सांई गोकूल उद्योग एल एल पी को हिडेन कर दिया गया है । घाट संख्या- 15 , शाहाबाद कंस्ट्रक्शन एलएलपी को 490 व घाट संख्या- 16 , बंदोबस्तधारी फ्रंटलाइन एनसीआर बिज़नेस को 880 पेड़ लगाना है । वृक्षारोपण योजना के तहत लगाएं गये पेड़ों को सुरक्षित रखने के लिए दो - दो माली रखना था । ग्रामीणों की मानें सोन तटवर्ती बालू घाट पर एक भी पेड़ नहीं लगाया गया है । कई ऐसे बंदोबस्तधारी हैं जो बालू घाट को सरेंडर तक कर दिए हैं और उन्हें वृक्षारोपण अभियान का पालन नहीं करने पर अभी तक न तो नोटिस दिया गया है और न ही किसी बंदोबस्तधारी को फाइन किया गया है । सवाल उठता है की खान निरीक्षक , बालू घाटों का कैसा निरीक्षण कर रहे है ।
खान निरीक्षकों द्वारा अक्सर ऐसा रिपोर्ट किया जाता है की अवैध बालू खनन नहीं हो रहा है और सभी मानक को पुरा किया जा रहा है । गूगल जीओ अर्थ ऐप द्वारा देखेंगे तो पाएंगे की सोन नदी में अवैध खनन तो आम है , सोन नदी के अस्तित्व को बालू बंदोबस्तधारियों ने समाप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ा है । सोन नदी में भरे पानी और प्रवाहित धारा को अवरुद्ध कर एक - एक बंदोबस्तधारी ने दर्जनों अवैध बांध बना डाला है जो नियम के पूर्णतः उल्लंघन है । यह आप कहं रहे हैं या गूगल अर्थ एप में दिख रहा है । खनन निरीक्षक को ऐसा न दिखाई दे रखा है और न ही देखने को तैयार है । खनन निरीक्षकों पर एक देहाती कहावत सटीक बैठती है उल्लू को दिन में थोड़े दिखाई देता है ।
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