कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार सतर्क, राज्यों के साथ उच्चस्तरीय बैठक में दिए सख्त निर्देश

नई दिल्ली। कफ सिरप की गुणवत्ता और उसके अनुचित उपयोग को लेकर उठी चिंताओं के बीच केंद्र सरकार ने सतर्कता बढ़ा दी है। इसी क्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शनिवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने की।

बैठक में औषधियों की गुणवत्ता, निर्माण मानकों के अनुपालन और विशेष रूप से बच्चों में कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर विस्तृत चर्चा की गई। यह बैठक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के निर्देश पर आयोजित की गई थी, जिन्होंने हाल ही में इस मुद्दे की समीक्षा की थी।

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बैठक में फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव अमित अग्रवाल, आईसीएमआर महानिदेशक डॉ. राजीव बहल, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. सुनीता शर्मा, डीसीजीआई डॉ. राजीव रघुवंशी, और एनसीडीसी निदेशक डॉ. रंजन दास सहित सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

बैठक में मुख्य चर्चा बिंदु

  • औषधि निर्माण इकाइयों में गुणवत्ता मानकों का कड़ाई से पालन — अनुसूची ‘एम’ और जीएसआर प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।
  • बच्चों में कफ सिरप का तर्कसंगत उपयोग — अतार्किक दवा संयोजनों से बचने और जरूरत से ज्यादा दवाओं के उपयोग पर रोक लगाने की सलाह दी गई।
  • खुदरा फार्मेसियों पर निगरानी — बिना पर्चे के दवा बिक्री रोकने के लिए नियंत्रण व्यवस्था मजबूत करने का निर्देश दिया गया।

यह बैठक मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कथित रूप से दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद बुलाई गई थी। पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत नागपुर की मेट्रोपॉलिटन सर्विलांस यूनिट (एमएसयू) ने इस मामले की रिपोर्ट आईडीएसपी-एनसीडीसी को भेजी थी। इसके बाद एनसीडीसी, एनआईवी और सीडीएससीओ के विशेषज्ञों की केंद्रीय टीम ने छिंदवाड़ा और नागपुर का दौरा कर जांच की।

प्रारंभिक रिपोर्ट में अधिकांश नमूने मानक पाए गए, लेकिन ‘कोल्ड्रिफ’ नामक कफ सिरप में डीईजी की मात्रा अनुमत सीमा से अधिक मिली। इसके बाद तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित विनिर्माण इकाई पर नियामक कार्रवाई करते हुए सीडीएससीओ ने उसका लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की है और आपराधिक मामला भी दर्ज किया गया है।

स्वास्थ्य सचिव ने दिए निर्देश

स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि संशोधित अनुसूची ‘एम’ का कड़ाई से पालन कराया जाए। उन्होंने कहा कि “बच्चों में खांसी प्रायः स्वतः ठीक हो जाती है, इसलिए अनावश्यक दवा का प्रयोग टालना चाहिए।”

डॉ. राजीव बहल (आईसीएमआर) ने कहा कि बच्चों को किसी भी तरह के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए अतार्किक दवा संयोजन नहीं दिए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय संयुक्त प्रकोप प्रतिक्रिया दल पहले से सक्रिय है और केंद्र व राज्यों के बीच समन्वय सुनिश्चित कर रहा है।

डॉ. सुनीता शर्मा (डीजीएचएस) ने कहा कि बच्चों में खांसी की दवाओं का लाभ सीमित होता है, जबकि जोखिम अधिक होते हैं। उन्होंने बताया कि अभिभावकों, डॉक्टरों और फार्मासिस्टों के लिए दिशानिर्देश जल्द ही राज्यों को भेजे जाएंगे।

डीसीजीआई डॉ. राजीव रघुवंशी ने कहा कि दवा निर्माण इकाइयों में गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (GMP) का पालन आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कुछ इकाइयों को दिसंबर 2025 तक उन्नयन के लिए छूट दी गई है, लेकिन उसके बाद उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

राज्यों की प्रतिक्रियाएँ

राजस्थान सरकार ने बताया कि प्रारंभिक जांच में मृत्युओं का कारण कफ सिरप की गुणवत्ता नहीं पाया गया, फिर भी सतर्कता बरती जा रही है।

महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि नागपुर के अस्पतालों में भर्ती बच्चों को सर्वोत्तम उपचार दिया जा रहा है।

बैठक के अंत में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों को आईडीएसपी रिपोर्टिंग सिस्टम को मजबूत करने, सभी स्वास्थ्य संस्थानों से समय पर रिपोर्ट प्राप्त करने और अंतरराज्यीय समन्वय बढ़ाने के निर्देश दिए।

केंद्र ने दवा गुणवत्ता और रोगी सुरक्षा के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता दोहराई और राज्यों को निर्देश दिया कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए त्वरित और समन्वित कार्रवाई करें।

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