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पैरालंपिक मेडलिस्ट होकातो सेमा ने साधा इंडियनऑइल वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 15 मीटर से आगे रहने का लक्ष्य

नई दिल्ली, सितम्बर 2025: भारतीय पैरा एथलीट होकातो होतोज़े सेमा इंडियनऑइल नई दिल्ली 2025 वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में अपने घरेलू मैदान पर दमदार वापसी करने जा रहे हैं। इस बार उन्होंने अपने अब तक के सर्वश्रेष्ठ थ्रो 14.88 मीटर से भी आगे निकलने का लक्ष्य साधा है। पेरिस 2024 पैरा ओलंपिक में ब्रॉन्ज और 2022 एशियन पैरा गेम्स में सिल्वर जीत चुके इस पैरा शॉट पुट खिलाड़ी ने एक बार फिर ऊँचाई छूने की ठानी है।
अपनी तैयारी और सफर पर बोलते हुए होकातो ने कहा ,"पैर खोने के बाद मैं अपना स्टंप छुपाता था, क्योंकि मुझे शर्म आती थी। अब मैं शॉर्ट्स पहनकर हर जगह जाता हूँ। लोग घूरते हैं, तो मैं उन्हें घूरने देता हूँ। मैंने सारी ऊर्जा ट्रेनिंग में लगाई है। हर दिन घंटों मेहनत करता हूँ। ताकत बढ़ाने और तकनीक सुधारने के लिए काम करता हूँ। मैं तब तक प्रैक्टिस करता रहता हूँ, जब तक सब कुछ परफेक्ट न लगने लगे।"
उन्होंने आगे कहा, "रिकॉर्ड तोड़ना सिर्फ ताकत का खेल नहीं है, इसमें धैर्य, सटीकता और अपनी सीमाओं से आगे बढ़ने का जज़्बा चाहिए। हर सुबह जब मैं ट्रेनिंग के लिए जाता हूँ, तो मेरा एक ही लक्ष्य होता है, दिल्ली में होने वाली इंडियनऑइल वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 15 मीटर की दूरी को पार करना। इसके लिए मैं पहले से कहीं ज्यादा मेहनत कर रहा हूँ, ताकि उस पल को मैं सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि अपने कोच और देश के लिए सबसे खास बना सकूँ।"
जैसे-जैसे दिल्ली इस ऐतिहासिक टूर्नामेंट की मेजबानी की तैयारी कर रहा है, होकातो पुणे के आर्मी पैरालंपिक नोड, बीईजी एंड सेंटर टीबी 2 दिघी कैंप में अपना पूरा ध्यान लगा रहे हैं। उनकी ट्रेनिंग में खास स्ट्रेंथ और फिटनेस वर्कआउट, एडवांस तकनीकी अभ्यास और रिकवरी सेशन्स शामिल हैं, ताकि बड़े दिन पर उनका प्रदर्शन अपने चरम पर हो। कोच भी मानते हैं कि उनकी निरंतरता, सहनशक्ति और थ्रो की लय पहले से कहीं बेहतर हुई है और अब वे अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ने के बेहद करीब हैं।
इंडियनऑइल वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2025 भारत के लिए एक ऐतिहासिक पड़ाव है, जहाँ दुनिया भर के खिलाड़ी खेल, संघर्ष और समर्पण की मिसाल पेश करेंगे। होकातो के लिए यह मुकाबला सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं है, बल्कि उनकी यात्रा का अगला कदम है, जहाँ वे एक सैनिक से पैरालंपियन बने और संदेह से निकलकर संकल्प तक पहुँचे। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मेडल जीतकर वे पहले ही अपनी पहचान बना चुके हैं और अब वे चाहते हैं कि दिल्ली में उनका प्रदर्शन उन तमाम लोगों को प्रेरित करे, जो किसी न किसी वजह से खुद को सीमित मानते हैं।