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विकास की राह पर घाटी

जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए मंगलवार का दिन खास रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर में 32,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की शुरुआत की। ये परियोजनाएं क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा देंगी। प्रधानमंत्री ने देश के अन्य हिस्सों के लिए करीब 13,500 करोड़ रुपये की कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।
उन्होंने घाटी में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन और संगलदान व बारामूला स्टेशनों के बीच ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखाई। बनिहाल-संगलदान खंड कश्मीर घाटी को उत्तर भारत के रेलवे नेटवर्क के और करीब लाएगा। 12.77 किलोमीटर की देश की सबसे लंबी परिवहन सुरंग भी खारी-सुम्बर खंड के बीच में स्थित है। सभी की निगाहें प्रधानमंत्री की जम्मू की सार्वजनिक रैली पर थीं।
रैली में प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 पूर्ववर्ती राज्य के विकास की राह में सबसे बड़ी बाधा था। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत में रिकॉर्ड संख्या में स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित किए गए जिसमें अकेले जम्मू और कश्मीर में 50 नए डिग्री कॉलेज स्थापित किए गए।
बड़ी बात है कि पहली बार सरकार जम्मू-कश्मीर में लोगों के दरवाजे पर पहुंची है। प्रधानमंत्री की जम्मू-कश्मीर की यह दूसरी यात्रा थी। गौरतलब है कि कश्मीर घाटी को शेष भारत से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग सर्दियों में हिमपात और बरसात में भूस्खलन के कारण अक्सर बाधित हो जाता है तथा कभी-कभी कई दिनों तक रास्ता बंद हो जाता है।
रेलवे लाइन का अधिकांश भाग सुरंगों में होने के कारण यह हर मौसम में निर्बाध यातायात सुनिश्चित करेगी। ट्रेनों की कनेक्टिविटी से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा,बल्कि लोग बिना किसी कठिनाई और रुकावट के देश के अन्य हिस्सों की यात्रा कर सकेंगे।
घाटी के लोगों को देश के बाकी हिस्सों के लिए परिवहन का सस्ता और तेज रफ्तार विकल्प मिलने से उनकी तरक्की के रास्ते आसान होंगे। साथ ही पूरे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति और सुरक्षा बलों की रसद एवं सामरिक साजोसामान की आपूर्ति भी त्वरित गति से निर्बाध हो सकेगी और सीमाओं की सुरक्षा मजबूत होगी। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुई प्रधानमंत्री की इस यात्रा को अहम माना जा सकता है। यात्रा से लोकसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर में भाजपा को बल मिलने की संभावना है।