साझेदारी का अवसर

निवेशकों के पास भारत के साथ साझेदारी करने और भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईईसी) का हिस्सा बनने का अवसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक निवेशकों को देश की विकास यात्रा से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया।

मंगलवार को ‘ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया शिखर सम्मेलन के तीसरे संस्करण में 18,800 करोड़ रुपये से अधिक की बंदरगाह से जुड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।  उधर थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक इजराइल-फलस्तीन संघर्ष के कारण आईएमईईसी में देरी और जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

बता दें आईएमईईसी पर पिछले महीने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत में सहमति बनी थी। व्यापार संबंधी यह परियोजना भारत को पश्चिम एशिया के जरिए यूरोप से जोड़ेगी। वैश्विक ढांचा और निवेश भागीदारी मंच के अंतर्गत घोषित भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप कनेक्टिविटी कोरिडॉर अपने तरह की पहली परियोजना है।

यह गलियारा क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करेगा, व्यापार पहुंच बढ़ाएगा, व्यापार सुविधाओं में सुधार करेगा तथा पर्यावरणीय सामाजिक और सरकारी प्रभावों पर जोर को बढ़ावा देगा। इस परियोजना में अमेरिका, भारत, सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ शामिल है। 

जीटीआरआई के मुताबिक इजराइल-हमास संघर्ष के चलते समझौते के अहम भागीदार सउदी अरब ने इजराइल के साथ राजनयिक संबंधों को सामान्य करने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों को रोक दिया है। अगर इन दोनों के बीच राजनयिक संबंध सामान्य नहीं होते हैं, तो गलियारे से जुड़ी परियोजनाओं को क्रियान्वित करना मुश्किल हो जाएगा।

इजराइल-फलस्तीन संघर्ष के तात्कालिक परिणाम इजराइल और गाजा तक ही सीमित हैं, लेकिन पूरे पश्चिम एशिया में इसके प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता है। युद्ध का असर भारत के व्यापार पर पड़ सकता है, विशेष रूप से रक्षा उपकरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में। भारत ने परंपरागत रूप से इजराइल और अरब देशों के प्रति अपनी विदेश नीति में एक संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखा है।

इस परिदृश्य में इजराइल के साथ अपने संबंधों को संतुलित करना और अरब देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना भारत के लिए जटिल सिद्ध हो सकता है। इजराइल भारत के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है और इस व्यापार संबंध में कोई भी व्यवधान भारत की रक्षा तैयारियों को प्रभावित कर सकता है। गौरतलब है कि चीन के बीआरआई को टक्कर देने के लिए भारत और अमेरिका ने आईएमईईसी की योजना का अनावरण किया था। निश्चित रुप से इसमें देरी के गंभीर भू-राजनीतिक परिणाम होंगे। 

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