गहरे हुए बहुआयामी संबंध

पिछले नौ वर्षों में व्यापार और निवेश, रक्षा, सुरक्षा, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा और शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ भारत का सहयोग कई गुना बढ़ा है। इसी तरह भारत और कतर के बहुआयामी संबंध सभी क्षेत्रों में गहरे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यूएई और कतर की यात्रा पर रवाना होने से पहले कहा कि हमारा सांस्कृतिक और लोगों से लोगों का जुड़ाव पहले से कहीं अधिक मजबूत है। वर्ष 2014 के बाद से प्रधानमंत्री मोदी की यूएई की सातवीं और कतर की दूसरी यात्रा होगी। वे बुधवार को दुबई में वैश्विक शासन शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं की सभा को संबोधित करेंगे। यह यात्रा दोनों देशों के बीच गहरे एवं बहुमुखी संबंधों को रेखांकित करती है।

साथ ही द्विपक्षीय संबंधों के बढ़ते महत्व को दर्शाती है। संयुक्त अरब अमीरात में 3.3 मिलियन से अधिक प्रवासी भारतीय हैं। हर क्षेत्र में भारत और यूएई के बीच आर्थिक साझेदारी फली-फूली है। जहां वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है।

यूएई के साथ भारत का संबंध इसके सबसे प्रमुख द्विपक्षीय संबंधों में से एक के रूप में उभरा है। यूएई न केवल एक रणनीतिक साझेदार है, बल्कि खाड़ी क्षेत्र में भारत की संलग्नता में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दोनों देशों के प्रमुख नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध को भी उजागर करता है। अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक करने और सेवा व्यापार को 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। 

चूंकि भारत और यूएई अपनी असाधारण रणनीतिक साझेदारी के साथ आगे बढ़ रहे हैं, वे अभिसरण और पारस्परिक सम्मान के एक मॉडल का संकेत देते हैं जिसका भविष्य में और सुदृढ़ होना तय है। फिर भी ईरान और अरब देशों (विशेषकर यूएई) के बीच चल रहे संघर्ष के कारण भारत स्वयं को एक नाजुक राजनयिक स्थिति में पाता है। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने ईरान से तेल आयात करना जारी रखा। यह भारत की ईरान और अरब दुनिया दोनों के साथ अपने संबंधों को सावधानीपूर्वक आगे बढ़ाने की आवश्यकता को उजागर करता है।

इजराइल और हमास के बीच छिड़े युद्ध ने भी चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। क्योंकि इससे प्रस्तावित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा संकट में पड़ गया है। अमेरिका और रूस जैसे देशों के साथ भारत की टू प्लस टू वार्ता की तरह संयुक्त अरब अमीरात के साथ समान उच्च स्तरीय वार्ता की शुरुआत लाभप्रद सिद्ध होगी।

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