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बड़ी पहल

टेक अरबपति एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने पहली बार किसी इंसान में अपने मस्तिष्क-कंप्यूटर-इंटरफेस चिप को प्रत्यारोपित किया है। शुरुआती संकेतों के मुताबिक यह प्रयोग सफल भी रहा। न्यूरालिंक की यह पहल बड़ी है। इसलिए यह कदम मानव जीवन में विज्ञान और टेक्नोलॉजी की भूमिका के नए दौर की शुरुआत साबित हो सकता है।
पक्षाघात से पीड़ित व्यक्ति दिमाग में चिप के प्रत्यारोपित होने के बाद केवल सोचकर माउस का कर्सर मूव कर सकेंगे। मस्क ने वर्ष 2016 में स्टार्टअप न्यूरालिंक को शुरु किया था। इसके माध्यम से अल्जाइमर, डिमेंशिया और रीढ़ की हड्डी जैसी समस्याओं का इलाज करने में मदद करने लिए मानव मस्तिष्क में एक कंप्यूटर को प्रत्यारोपित करने का लक्ष्य है।
इस परियोजना से मस्क का दीर्घकालीन लक्ष्य मनुष्यों और एआई के बीच संबंधों का पता लगाना है। न्यूरालिंक के मुताबिक ट्रायल उन लोगों पर किया जा रहा है, जिन लोगों को सर्वाइकल स्पाइनल कॉर्ड में चोट या एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस के कारण क्वाड्रिप्लेजिया है।
इस ट्रायल में हिस्सा लेने वालों की उम्र न्यूनतम 22 साल होनी चाहिए। शोध को पूरा होने में करीब छह साल लगेंगे। पिछले दिनों मस्क ने दावा किया कि यह चिप सुरक्षित है। इसकी मदद से बंदर ने पोंग नाम का आर्केड खेल खेलना सीखा। यह समझना महत्वपूर्ण है कि यदि प्रौद्योगिकी मनुष्यों में काम करती है तो यह लाखों लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है। यह तकनीक आश्चर्यजनक जोखिमों के साथ आती है।
क्योंकि ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) अमूर्त का भी पता लगा सकता है तथा रिकॉर्ड और संचारित भी कर सकता है। मस्तिष्क के संकेतों को प्राप्त करते हैं, उनका विश्लेषण करते हैं जिससे मानवीय विचार असुरक्षित हो जाते हैं। बड़े पैमाने पर समाज के लिए नैतिक जोखिम भी हैं जो न्यूरालिंक से भी आगे जाते हैं। कई कंपनियां ऐसी तकनीक विकसित कर रही हैं जो मानव मस्तिष्क से जुड़ती हैं।
हमारे दिमाग में क्या चल रहा है उसे डिकोड कर सकती है और मानसिक गोपनीयता को खत्म करने की क्षमता रखती है। मस्क और उनकी टीम को अनुसंधान के ईमानदारी प्रति ईमानदार प्रतिबद्धता बनाए रखनी होगी। जो आने वाला है उसके लिए हमें खुद को तैयार करना होगा।