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फिर गढ्ढामुक्ति अभियान

सरकारें चाहें जितने दावे कर लें कि गांव-गांव तक मजबूत सड़कीकरण किया जा रहा है,लेकिन बरसात आते ही ये दावे खुद ब खुद सच्चाई बयां कर देते हैं। उत्तर प्रदेश में भीषण भारी हो रही है। मौसम विभाग ने आगामी एक दो दिन तक भारी बारिश की संभावना जताई है। भारी बारिश के चलते सड़कों पर चलना मुहाल है।
आने वाले दिनों में कई जिलों में लगातार बारिश की संभावना है। इसका ध्यान रखते हुए दीपावली से पूर्व प्रदेशव्यापी सड़क गड्ढामुक्ति का अभियान चलाया जाए। यह सही बात है कि प्रदेश के महानगरों में भी सड़कों पर गढ्ढों की समस्या आम बात है,लेकिन इसकी मुक्ति के लिए सिर्फ आदेशों से काम नहीं चलेगा,बल्कि उन पर तत्काल प्रभाव से क्रियान्वयन होना चाहिए तभी समस्या से निजात पाई जा सकती है। गौरतलब है कि प्रदेश में सन् 2017 में योगी सरकार सत्ता में आई थी।
सत्ता में आते ही सरकार ने अपने प्रमुख एजेडों में सड़कों के गढ्ढा मुक्ति करने का भी एंजेडा शामिल था जिसके तहत आगामी 100 दिनों में प्रदेश की सड़कों को गढ्ढा मुक्त किए जाने लक्ष्य रखा गया था। अब सवाल उठता है कि सरकार के 6 वर्ष के कार्यकाल के बाद पुन: सरकार को गढ्ढा मुक्त अभियान चलाने की जरूरत क्यों पड़ गई? जबकि सरकार का 2022 से दूसरा कार्यकाल शु्रू हुआ है। ऐसा नहीं है कि गढ्ढों को खत्म नहीं किया गया,बल्कि इस दौरान सड़के भी बनाई गईं,लेकिन कार्य में गुणवत्ता का अभाव रहा जिसकी बजह से सड़कें समय से पहले या कहीं-कहीं तो एक बरसात भी नहीं झेल पाई और उखड़ गई। सड़के उखड़ने की वजह से फिर गढ्ढे हो गए जो आए दिन दु्र्घटना के कारण बनते हैं।
सड़कों की गुणवत्ता अच्छी हो इसके भी मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि सड़क बनाने वाली एजेंसी/ठेकेदार सड़क बनने के अगले पांच वर्ष तक उसके अनुरक्षण की जिम्मेदारी भी लेगा। सरकार की यह पहल सड़कों को गुणवत्ता पूर्ण बनाने के लिए सही है,लेकिन इसके साथ ही साथ सरकार को संबंधित विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली की गुणवत्ता सुधारने की भी जरूरत है, क्योंकि अधिकारियों और ठेकेदारों की जुगलबंदी किसी से छिपी नहीं है। अत: सरकार को संबंधित विभाग के अधिकारियों की भी जवाबदेही तय करनी होगी तभी प्रदेश में सुगम और गढ्ढा मुक्त सड़कों की कल्पना मूर्त रूप ले सकेगी। ये भी पढे़ं- भारत का बढ़ता कद