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मुरादाबाद: बच्चों की मौत के बाद कफ सिरप पर सख्ती, मेडिकल स्टोर्स और अस्पतालों पर निगरानी बढ़ेगी

मुरादाबाद: राजस्थान में कफ सिरप पीने से एक बच्चे की मौत के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पांच वर्ष तक के बच्चों को बिना चिकित्सकीय परामर्श के कफ सिरप देने पर रोक लगा दी है। इसके बाद अब मुरादाबाद समेत सभी जिलों में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) सक्रिय हो गया है। विभाग बच्चों के लिए बिकने वाले कफ सिरप की जांच करेगा और अस्पतालों व मेडिकल स्टोर्स की कड़ी निगरानी रखेगा।
कफ सिरप के सैंपल होंगे लैब में परीक्षण
अब डॉक्टर की पर्ची पर ही मिलेगी दवा
स्वास्थ्य विभाग ने सभी मेडिकल स्टोर्स को निर्देश दिए हैं कि वे अब बच्चों को कफ सिरप केवल डॉक्टर की पर्ची पर ही दें। किसी भी स्थिति में बिना पर्ची दवा बेचने पर प्रतिबंध रहेगा। नियमों के उल्लंघन पर मेडिकल स्टोर का लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है। अस्पतालों को भी सख्त निर्देश दिए गए हैं कि चिकित्सक केवल आवश्यकता पड़ने पर ही पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप लिखें।
“हर खांसी में दवा जरूरी नहीं” – विशेषज्ञ
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. वीर सिंह ने बताया कि छोटे बच्चों में खांसी शरीर की एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है, जिसे हर बार दवा से दबाने की जरूरत नहीं होती। कई बार कफ सिरप देने से बच्चों की सांस की नली पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य खांसी या जुकाम में बच्चों को भाप देना और पर्याप्त तरल पदार्थ पिलाना ही पर्याप्त उपचार है। यदि बच्चे को लगातार खांसी या सांस लेने में कठिनाई हो तो विशेषज्ञ की सलाह से ही दवा या इन्हेलर दिया जाए।