सत्ता का अहंकार साधु-संतों के सम्मान से बड़ा नहीं: माघ मेले में भूमि आवंटन पर बोले अखिलेश यादव

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने माघ मेले में भूमि आवंटन को लेकर साधु-संतों और प्रशासन के बीच हुए विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि किसी एक व्यक्ति या सरकार का सत्ता-अहंकार सच्चे साधु-संतों के मान-सम्मान से बड़ा नहीं हो सकता। जो लोग अपने लिए भूमि पर स्थायी कब्जा किए बैठे हैं, वे धर्म के कार्य के लिए अस्थायी भूमि तक देने को तैयार नहीं हैं—यह सदियों पुरानी परंपराओं का घोर अपमान है।

रविवार को प्रयागराज में माघ मेले को लेकर जारी बयान में सपा प्रमुख ने कहा कि कुंभ और माघ मेले की परंपरा रही है कि इस पुण्य आयोजन से पहले अधिकारी पूज्य साधु-संतों का आशीर्वाद लेते हैं। लेकिन वर्तमान भाजपा शासन में हालात ऐसे हो गए हैं कि धर्मार्थ कार्य के लिए भी साधु-संतों को अधिकारियों के सामने जमीन पर लेटकर गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर अधिकारी किसके इशारे पर संत-समाज से ऐसा व्यवहार करने का साहस कर रहे हैं।

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अखिलेश यादव ने कहा कि दूसरों को नीचा दिखाकर खुद को ऊपर दिखाने की प्रवृत्ति अंततः पराजित होती है। उन्होंने दो टूक कहा कि अधर्म कभी जीतता नहीं और एकाधिकार की भावना का अंत निश्चित है।

महिला अपराधों पर भी सरकार को घेरा

सपा प्रमुख ने प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने व्यवस्था को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि देश में महिला अपराधों की सबसे अधिक घटनाएं उत्तर प्रदेश में हो रही हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने रामपुर में कार में छात्रा से छेड़छाड़ व दुष्कर्म के प्रयास और बस्ती में छेड़खानी की घटनाओं का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि ये घटनाएं दर्शाती हैं कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर गंभीर सुधार की जरूरत है।

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