- Hindi News
- उत्तर प्रदेश
- बलिया
- Ballia: कजरी महोत्सव में गूंजे परंपरा के सुर, विलुप्त होती संस्कृति को बचाने का लिया संकल्प
Ballia: कजरी महोत्सव में गूंजे परंपरा के सुर, विलुप्त होती संस्कृति को बचाने का लिया संकल्प

बलिया। सावन की फुहारों और लोकगीतों की मिठास के बीच मोतीनगर की महिलाओं ने मित्रता दिवस के अवसर पर कजरी महोत्सव का भव्य आयोजन किया। यह आयोजन प्रज्ञाय सदन में शिक्षिका रीना ओझा के नेतृत्व में किया गया, जिसका उद्देश्य था—विलुप्त होती लोकसंस्कृति और परंपराओं को सहेजना और अगली पीढ़ी तक पहुंचाना।
मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम का शुभारंभ संस्कार भारती महिला मोर्चा की जिलामंत्री रश्मि पाल ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। इसके बाद भजन और कजरी गीतों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया।
महिलाओं ने पारंपरिक गीतों
"घन घन बरसे हो बदरिया, कैसे नौकरियां जइबा ना",
"झिर झिर बुनिया हो, पड़ेला झिर झिर बुनिया",
"पिया मेंहदी मंगा द मोती झील से, जाके साइकिल से ना",
"सांझे बोले चिरई, पराते कोइलारिया-मोरवा बोलेला, आधी रात नु राम"
को पूरे उल्लास के साथ गाया, जो न केवल सावन की रिमझिम को बयां कर रहे थे, बल्कि लोकसंस्कृति की गहराई भी दर्शा रहे थे।
कार्यक्रम संयोजिका रीना ओझा ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति से जुड़े रहना चाहिए और हर पर्व को सामूहिक रूप से मनाकर अपनी परंपराओं को जीवित रखना चाहिए। इस मौके पर महिलाओं ने वृक्षारोपण का संकल्प लिया और प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करने का संदेश भी दिया।
कार्यक्रम में निशा मिश्रा, वंदना मिश्रा, डॉ. दिव्या त्रिपाठी, ममता यादव, गुड़िया सिंह, नेहा सिंह, शर्मीला यादव, किरण पांडेय, मंजू सिंह, शीला पांडेय, शालिनी शुक्ला और छाया यादव जैसी महिलाओं ने अपनी शानदार सहभागिता से आयोजन को सफल बनाया।
यह महोत्सव न केवल सावन के उल्लास का प्रतीक रहा, बल्कि एक मजबूत संदेश भी छोड़ गया—अपनी जड़ों से जुड़ें और परंपराओं को जिएं।