रक्षाबंधन पर एक विनम्र अपील — भाई बहन के रिश्ते की गरिमा बनी रहे

बलिया: मैं कोई शास्त्री नहीं, बस पत्रकार होने के नाते समाज से एक भावनात्मक अनुरोध करना चाहता हूं।

देशभर में भारी बारिश ने कहर बरपाया है — कहीं बादल फट रहे हैं, कहीं नदियां उफान पर हैं। प्रशासन मुस्तैद है, पर संकट की घड़ी में रक्षाबंधन जैसे पावन पर्व की बात करना भी ज़रूरी है। यह सिर्फ एक धागा बांधने की परंपरा नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते को नई ऊर्जा देने वाला पर्व है।

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रक्षाबंधन उस विश्वास और प्रेम का प्रतीक है, जो अच्छे वक्त में मुस्कान देता है और कठिन समय में साथ निभाने का वचन। बहन राखी बांधती है, भाई उसकी रक्षा का संकल्प लेता है — यही संस्कृति की आत्मा है।

समय बदला है, लेकिन रिश्तों की मिठास अभी भी जीवित है। आज भी बहनें मायके की ओर राखी लेकर निकलती हैं। ऐसे में अगर कोई भाई घर से दूर रहने की योजना बना रहा हो, तो मैं विनम्र आग्रह करता हूं कि कम-से-कम रक्षाबंधन तक घर में ही रहें। बहनों की राखी खाली न जाए। यह सिर्फ परंपरा नहीं, बहनों के मान-सम्मान से जुड़ा विषय भी है।

रक्षाबंधन 9 अगस्त को मनाया जाएगा

सावन पूर्णिमा की तिथि 8 अगस्त को दोपहर 1:42 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे तक रहेगी। अतः इस बार पूरे देश में रक्षाबंधन 9 अगस्त को ही मनाया जाएगा।

यूएई जैसे देशों में भी यह पर्व इसी तारीख को मनाया जाएगा, बस समय अलग रहेगा — जैसे सुबह 5:51 से 11:54 तक का शुभ मुहूर्त।

जब गांव की बहनें पूरे गांव को राखी बांधती थीं

एक वक्त था जब गांव की बहनें न सिर्फ अपने भाइयों को, बल्कि पूरे गांव के भाइयों और भतीजों को राखी बांधा करती थीं। वह प्रेम, वह अपनापन अब विरल होता जा रहा है। लेकिन क्या हम चाहें तो उसे फिर नहीं जगा सकते?

नए दौर में भाई, बहन के मान-सम्मान के रक्षक बनें

आज समाज बहुत कुछ खो रहा है। ऐसे में रिश्तों की गरिमा बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। मेरी आप सभी भाइयों से अपील है — आप अपनी बहनों के आत्मसम्मान और सुरक्षा के प्रतीक बनें। राखी सिर्फ धागा नहीं, भरोसे की डोर है। इस डोर को टूटने न दें।

इन्हीं भावनाओं के साथ, आप सबको रक्षाबंधन की शुभकामनाएं।

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