बलिया की 56 ग्राम पंचायतों को मिले दो अरब रुपये, लेकिन विकास अधूरा

बैरिया, बलिया: मुरली छपरा और बैरिया विकासखंड के 56 ग्राम पंचायतों को पिछले चार वर्षों में लगभग दो अरब रुपये की धनराशि शासन से मिली। यह राशि गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए थी, लेकिन अधिकांश गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। सरकार की योजनाओं और विकास की परिकल्पना भ्रष्टाचार और बंदरबांट के कारण कागजों तक ही सीमित रह गई।

गांवों की हालत ज्यों की त्यों

मुरली छपरा विकासखंड की 25 और बैरिया विकासखंड की 31 ग्राम पंचायतों को मनरेगा, राजस्व वित्त, 13वां और 14वां वित्त आयोग सहित विभिन्न योजनाओं के तहत भारी-भरकम धनराशि भेजी गई। हालांकि, इन गांवों में नाली, खड़ंजा, जल निकासी, स्ट्रीट लाइट, शौचालय, विद्युतीकरण और वृक्षारोपण जैसे कार्य अधूरे हैं। कहीं-कहीं कुछ काम धरातल पर दिखता है, लेकिन अधिकतर कार्य केवल कागजों में पूरे किए गए।

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कर्मचारियों पर सवाल

ग्राम पंचायतों में तैनात सफाई कर्मी, रोजगार सेवक, पंचायत सहायक और शौचालय के केयरटेकर को हर साल मानदेय के रूप में बड़ी धनराशि दी जाती है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इनकी नियुक्ति से पहले भी गांवों में काम उसी तरह हो रहे थे जैसे अब हो रहे हैं।

ओडीएफ का कड़वा सच

स्वच्छ भारत मिशन के तहत ओडीएफ घोषित किए गए गांवों में लोग अब भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। स्ट्रीट लाइट के लिए खर्च किया गया बजट भी बेकार साबित हुआ, क्योंकि अधिकांश गांवों में एक भी लाइट नहीं जल रही। सार्वजनिक शौचालयों में ताले लगे हैं, और जो चालू हैं, वे निजी शौचालय की तरह इस्तेमाल हो रहे हैं। वृक्षारोपण के नाम पर पौधे केवल कागजों में ही लगाए गए।

ग्रामीणों की मांग: उच्चस्तरीय जांच हो

ग्रामीणों का कहना है कि यदि इन अनियमितताओं की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, तो बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है। यदि शासन ने कार्रवाई नहीं की, तो विकास के नाम पर सरकारी धन की इसी तरह बंदरबांट होती रहेगी।

उमेश कुमार सिंह, सहायक विकास अधिकारी पंचायत, बैरिया

"गांवों में समस्याएं थीं और विकास कार्य हुए हैं। अपवाद को छोड़कर सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं हुआ है। आगे भी विकास कार्य जारी रहेंगे।"

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