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'मिशन चाइना' पर पीएम मोदी: जिनपिंग से हो सकती है हाई-लेवल मीटिंग, क्या वैश्विक मंच पर बदलेगा समीकरण?

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए चीन यात्रा पर जाएंगे। यह दौरा कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जून 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सेनाओं के बीच हुए खूनी संघर्ष के बाद यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री चीन की जमीन पर कदम रखेंगे।
भारत-चीन रिश्तों में नया मोड़?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुलाकात से न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया को एक अहम राजनीतिक संदेश मिल सकता है, खासकर ऐसे वक्त में जब अमेरिका-चीन और अमेरिका-भारत संबंधों के बीच रणनीतिक दबाव का दौर जारी है।
जयशंकर की चीन यात्रा के बाद पीएम का दौरा
हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी चीन का दौरा किया था, जिसे दोनों देशों के बीच संवाद की एक नई शुरुआत के तौर पर देखा गया। पांच वर्षों में जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा थी, जहां उन्होंने एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था। अब प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा उस कूटनीतिक प्रयास की अगली कड़ी मानी जा रही है।
पहले भी 5 बार चीन जा चुके हैं मोदी
प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले भी पांच बार चीन की यात्रा कर चुके हैं। पहली बार वे मई 2015 में चीन गए थे, जब राष्ट्रपति जिनपिंग ने उन्हें अपने गृह राज्य शियान ले जाकर व्यक्तिगत मेजबानी की थी। इसके बाद सितंबर 2016 (हांगझोउ G20), सितंबर 2017 (BRICS), अप्रैल 2018 (वुहान अनौपचारिक शिखर बैठक) और जून 2018 (चिंगदाओ SCO) में भी पीएम मोदी चीन की यात्रा कर चुके हैं।
पीएम मोदी और शी जिनपिंग की आखिरी आमने-सामने की मुलाकात अक्टूबर 2024 में हुई थी, जहां दोनों नेताओं के बीच करीब 50 मिनट की बातचीत हुई थी। उस दौरान सीमा पर शांति बनाए रखने समेत कई रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई थी।
अमेरिकी दबाव के बीच नई रणनीति की तैयारी
अमेरिका द्वारा चीन पर टैरिफ और व्यापारिक दबाव बनाए जाने के बीच पीएम मोदी का यह चीन दौरा भारत की संतुलित विदेश नीति का संकेत भी हो सकता है। भारत ऐसे वक्त में कूटनीतिक संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है जब वैश्विक शक्तियां तेजी से ध्रुवीकृत हो रही हैं।
इस हाई-प्रोफाइल दौरे और संभावित मोदी-जिनपिंग मुलाकात को लेकर दुनिया भर की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं कि क्या एशिया की दो सबसे बड़ी ताकतें अपने रिश्तों में नई शुरुआत करेंगी, या तनाव की पुरानी लकीरें फिर से उभरेंगी।