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समाज में बदलाव की लहर लाने वाले वाहक होंगे सम्मानित
उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों के 21 गोल्डन अचीवर्स होंगे सम्मानित
इंदौर, दिसंबर 2025: हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं, जहाँ समाज में बदलाव की सबसे बड़ी ताकत सरकारें, नीतियाँ या संसाधन नहीं, बल्कि लोग बन रहे हैं। ऐसे लोग, जो समाजसेवा की रोशनी दूसरों तक पहुँचाते हैं। ऐसे क्षण, जब कोई व्यक्ति अपने व्यक्तिगत लाभ से ऊपर उठकर समाज, शिक्षा, भूख, सम्मान, अवसर और परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाता है, वहीं से भविष्य की नई सुबह जन्म लेती है। इसी सोच के साथ सतत विकास के प्रमुख लक्ष्यों को हासिल करने हेतु कार्यरत संस्था '2030_का_भारत' नए साल में एक अनोखा और प्रेरणादायक समारोह आयोजित करने जा रही है, जहाँ उन लोगों को सम्मानित किया जाएगा, जिनके नेक कार्यों ने समाज में बदलाव की बयार पैदा की है। यह सम्मान महज़ व्यक्तियों का नहीं होगा, बल्कि उन मूल्यों, विचारों और प्रयासों का होगा, जो आने वाले कल के भारत को आकार दे रहे हैं। 'गोल्डन अचीवर अवॉर्ड्स- 2026' के नाम से आयोजित इस पहल के अंतर्गत उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में कुल 21 सम्मान प्रदान किए जाएँगे, जो तीन प्रमुख श्रेणियों में विभाजित हैं- बंदियों के जीवन में सुधार लाने वाले जेलर्स, पेशे से प्रोफेशनल न होते हुए भी जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करने वाले टीचर्स और भोजन व्यर्थ न करने हेतु अभियान चलाने वाले व्यक्ति।
पहली श्रेणी प्रेरणादायी जेलर्स के सम्मान की है। इस श्रेणी के तहत संस्था उन जेलर्स को सम्मानित करेगी, जिन्होंने कारागार सेवा को महज़ सुरक्षा और अनुशासन तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे मानवीय सेवा, सुधार, शिक्षा और पुनर्वास के रूप में आगे बढ़ाया है। ये वे लोग हैं, जिन्होंने बंदियों के जीवन को बदलने के उद्देश्य से उन्हें फिर से सम्मानपूर्वक समाज में लौटने की राह दिखाई है या फिर उन्हें स्वरोज़गार के लिए प्रेरित किया है। यह सम्मान बताता है कि असली परिवर्तन नियमों से नहीं, नीयत से आता है।
दूसरी श्रेणी उन लोगों के सम्मान की है, जो पेशे से शिक्षक नहीं हैं, लेकिन बावजूद इसके शिक्षा के वाहकों की भूमिका निभा रहे हैं। इनके पास स्कूल या क्लासरूम हो न हो, लेकिन जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का जज़्बा भरपूर है। ये लोग अपने रोजमर्रा के जीवन से समय निकालकर उन बच्चों को पढ़ाते हैं, जिनके पास अवसर और उचित साधन नहीं हैं। चाहे नौकरी से लौटते हुए पार्क में पढ़ाना हो, घर की छत पर क्लास लेना हो या हफ्ते में मिलने वाला अवकाश बच्चों के नाम करना हो, ये लोग कल के युवाओं को शिक्षा देने की पुरजोर कोशिश करते हैं।
तीसरी श्रेणी उन लोगों की है, जो भोजन की बर्बादी रोकने के लिए अभियान चलाते हैं। ये वे लोग हैं, जिनके प्रयास भोजन को कचरा नहीं, किसी की भूख मानकर आगे बढ़ते हैं। समाज में बढ़ती भोजन की बर्बादी की समस्या के बीच यह अभियान सिर्फ भोजन बचाने का नहीं, बल्कि भोजन के प्रति संवेदनशील भारत बनाने का प्रयास है।
संस्था का मानना है कि समाज में असली बदलाव सिर्फ सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि लोगों की भागीदारी से आता है। यही वजह है कि यह सम्मान उन लोगों को दिया जा रहा है, जो समाज के लिए सोचते हैं, जिम्मेदारी निभाते हैं और बदलाव की पहल करते हैं। यह समारोह साबित करेगा कि बदलाव गाँव और शहरों से शुरू होकर जेलों तक पहुँच सकता है; शिक्षा डिग्री से नहीं, दिल और नीयत से होती है; और भोजन का सही महत्व वही समझ सकता है, जिसने किसी की भूख महसूस की हो। कुल मिलाकर, 'गोल्डन अचीवर अवॉर्ड्स - 2026' हमें 2030 के उस भारत की झलक दिखाएगा, जहाँ लोगों की सोच बदल रही है, समय बदल रहा है और समाज नई दिशा में आगे बढ़ रहा है।
2030_का_भारत के बारे में
'2030_का_भारत' सतत विकास के प्रमुख लक्ष्यों को हासिल करने हेतु कार्य कर रहा है। एक ऐसा मंच है, जो गरीबी, भूखमरी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जैसे उन मुद्दों पर संवाद को बढ़ावा देता है, जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज कर देते हैं। संस्था मानती है कि वास्तविक परिवर्तन तभी संभव है, जब नीति-निर्माण में आम नागरिकों की आवाज़ को शामिल किया जाए। '2030 का भारत' लगातार ऐसे संवादों का हिस्सा रहा है, जहाँ नीति-निर्माता, समाजसेवी, जनप्रतिनिधि और आम नागरिक एक साथ बैठकर उन सवालों पर चर्चा करते हैं, जो देश के विकास के लिए वास्तव में मायने रखते हैं।
