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आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर: जीरो टॉलरेंस नीति से बड़ी कामयाबी

केंद्र सरकार की सख्त आतंकवाद विरोधी नीति के चलते जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठनों, विशेष रूप से हिजबुल मुजाहिदीन, का लगभग सफाया हो गया है। आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सुरक्षा बलों के समन्वित प्रयासों और केंद्र सरकार की दृढ़ नीतियों ने उल्लेखनीय प्रगति की है। राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक रणनीति ने नागरिकों और सैनिकों के बीच आपसी विश्वास को मजबूत किया है, जो आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
महत्वपूर्ण उपलब्धियां
सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी
गुरुवार को कुलगाम जिले के कद्देर गांव में सुरक्षाबलों ने पांच हिजबुल मुजाहिदीन आतंकियों को मार गिराया। इसके साथ ही यह स्थानीय आतंकी समूह लगभग समाप्त हो गया है। यह घटना आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की दृढ़ता और उनकी रणनीति की सफलता को दर्शाती है।
आतंकवाद के इकोसिस्टम पर चोट
मोदी सरकार की नई आतंकवाद रोधी नीति न केवल आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करती है, बल्कि उनके पूरे इकोसिस्टम को खत्म करने पर भी ध्यान केंद्रित करती है। विशेष यूनिटों के जरिए युवाओं को कट्टरपंथ की ओर जाने से रोका जा रहा है। युवाओं की आतंकवादी संगठनों में भर्ती में गिरावट आई है। आतंकवाद विरोधी इकाइयों और सुरक्षा बलों ने मिलकर आतंकवाद का समर्थन करने वाले ढांचे को कमजोर किया है।
लोकतंत्र और विकास में बढ़ती भागीदारी
जम्मू-कश्मीर में चुनावों में अभूतपूर्व भागीदारी यह दर्शाती है कि लोग भारत के लोकतंत्र और सुरक्षा बलों पर भरोसा कर रहे हैं। सरकार ने आतंकवाद मुक्त माहौल बनाने के लिए हर संभव संसाधन उपलब्ध कराए हैं।
भविष्य की रणनीति
हालांकि आतंकवाद पर नियंत्रण के बावजूद अभी भी कुछ चुनौतियां बाकी हैं। सुरक्षा उपकरणों के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण पर ध्यान देना आवश्यक है। सीमापार से घुसपैठ रोकने के लिए बहुआयामी रणनीति विकसित करनी होगी। सुरक्षा बलों और सरकार के निरंतर प्रयासों से उम्मीद है कि जल्द ही जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह आतंकवाद मुक्त बनाया जाएगा।