Ballia News: सतीश चंद्र कॉलेज में ‘भारत के संविधान की उद्देशिका’ पर संगोष्ठी आयोजित

Ballia News: बलिया के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा विश्वविद्यालय स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय ‘भारत के संविधान की उद्देशिका’ रहा, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह और सारस्वत अतिथि के रूप में हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व सैन्य विज्ञान के आचार्य प्रो. लल्लन सिंह उपस्थित रहे।

मुख्य वक्ता के रूप में कुंवर सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं राजनीति विज्ञान के प्रो. डॉ. अशोक कुमार सिंह ने अपने विचार प्रस्तुत किए। संगोष्ठी की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. बैकुंठ नाथ पांडे ने की, जबकि राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. सानंद सिंह ने स्वागत भाषण और विषय प्रवर्तन किया। उन्होंने बलिया की राजनीतिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक परंपरा का परिचय कराया और सतीश चंद्र कॉलेज के संस्थापक सतीश चंद्र गिरी तथा राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व छात्र भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी को नमन किया।

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संविधान की उद्देशिका का महत्व

प्रो. हरिकेश सिंह ने भारत के संविधान की प्रस्तावना को ‘भारत की आत्मा’ बताया और कहा कि संविधान की संरचना अंतिम पंक्ति के व्यक्ति का ध्यान रखते हुए की गई है। उन्होंने लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना में संविधान के आदर्श स्वरूपों पर विचार रखा।

संविधान संशोधन पर पुनर्विचार की मांग

प्रो. लल्लन सिंह ने अपने संबोधन में संविधान की 42वें संशोधन पर पुनर्विचार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक समाज की आत्मा में किसी भी संशोधन को स्वीकार नहीं किया जा सकता, विशेषकर तब, जब देश में आपातकाल लागू था। उन्होंने मोर्गेंथाऊ की पुस्तक का उदाहरण देते हुए विद्यार्थियों को अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करने की प्रेरणा दी।

संविधान निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

प्रो. अशोक कुमार सिंह ने अपने संबोधन में ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय जनता के शोषण का जिक्र करते हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने इंग्लैंड, अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस के संवैधानिक लोकतंत्रों का उदाहरण देते हुए भारत में संविधान निर्माण की ऐतिहासिक प्रक्रिया पर चर्चा की। उन्होंने ‘हम भारत के लोग’ से शुरू होकर उद्देशिका के प्रत्येक शब्द की व्याख्या कर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।

संगोष्ठी की सार्थकता पर चर्चा

प्राचार्य प्रो. बैकुंठ नाथ पांडे ने संगोष्ठी की सार्थकता को रेखांकित करते हुए कहा कि उद्देशिका केवल राजनीति विज्ञान का विषय नहीं है, बल्कि यह सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों को जानना और समझना चाहिए।

संविधान संशोधन पर विभिन्न मत

डॉ. संजय कुमार ठाकुर ने 42वें संशोधन को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत की संविधान सभा हर दृष्टि से सक्षम थी और प्रस्तावना की रूपरेखा पूरी तरह स्पष्ट थी। उन्होंने कहा कि ऐसे संशोधन भारतीय जनता और संविधान के मूल स्वरूप के लिए विचारणीय विषय हैं। वहीं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अवनीश चंद्र पांडे ने संविधान संशोधन को समयानुकूल और आवश्यक बताते हुए इसका समर्थन किया।

साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान

हिंदी साहित्य के आचार्य प्रो. श्रीपति यादव ने अपनी वाणी और कविता के माध्यम से अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार ने किया।

विद्यार्थियों और शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी

संगोष्ठी में टाउन डिग्री कॉलेज, बलिया के भारतेंदु मिश्र शिक्षा संकाय के संकाय प्रमुख प्रो. ओंकार सिंह, प्रो. ज्ञानेंद्र सिंह और विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। उत्साहपूर्वक 300 विद्यार्थियों ने चार्ट के माध्यम से भारतीय संविधान की रूपरेखा का प्रदर्शन किया।

उम्मीदों का संदेश

संगोष्ठी में सभी ने विश्वास जताया कि संविधान की उद्देशिका पर हुई यह चर्चा समाज में संविधान के प्रति मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता लाने में सहायक सिद्ध होगी।

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