UP : विलुप्ति की कगार पर पहुंचे गिद्ध फिर दिखने लगे, दिसंबर में की जाएगी जनगणना

बदायूं। वन्य जीवों में दुर्लभतम पक्षी गिद्धों की गणना अगले माह दिसम्बर से शुरू की जाएगी। गिद्धों की गणना जिले के प्रत्येक खंड में की जाएगी जिससे गिद्धों का सही आंकड़ा मिल सके। वन विभाग की ओर से वन्यजीवों के संरक्षण को कोई योजना नहीं होने से कई तरह के जंगली जीव विलुप्त होते जा रहे हैं। अब कुछ जगहों पर गिद्ध देखे गए हैं जिससे विभाग ने माना है कि गिद्धों की गणना के बाद कुछ आंकड़ा जरूर सामने आएगा।

शासन स्तर से वन्य जीवों के संरक्षण को कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। इससे दुर्लभतम पक्षियों के झुंड अब कहीं भी दिखाई नहीं देते हैं। वन्य जीव जन्तुओं को इस क्षेत्र का पर्यावर्णीय सुखद वातावरण नहीं है। इससे वन्यजीवों के विलुप्त होने का सिलसिला जारी है। इनमें सबसे दुर्लभतम पत्री गिद्ध है जो पर्यावरण को साफ स्वच्छ बनाने में अहम भूमिका रखता था, लेकिन गिद्धों के विलुप्त होने से पर्यावरण को भी क्षति पहुंची है।

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वन विभाग का कहना है कि 2022 में अंतिम बार गिद्धों की गणना की गई थी। उस समय एक भी गिद्ध देखने को नहीं मिला। जिससे वन विभाग ने गिद्धों की संख्या शून्य दर्ज कर ली। वन विभाग अधिकारियों का कहना है कि इस साल 1 दिसम्बर से गिद्धों की गणना की जाएगी। जिले के चारों खंडों में एक साथ गिद्धों की गणना के लिए टीमें बनाई जाएंगी। प्रत्येक टीम दिन में की गयी गणना का लेखा जोखा विभाग को देगी। एक माह तक गिद्धों की गणना की जाएगी । वन विभाग के अनुसार इस साल कादरचौक और उसहैत इलाके में कुछ स्थानों पर गिद्ध देखे गए हैं। यह क्षेत्र गंगा के किनारे के होने के कारण इधर वन्य जीवों का विचरण अधिक होता है इसलिए इस क्षेत्र में ही मुख्य गणना केंद्र होगा।

विलुप्त हो रहे लकड़बग्घा

वन विभाग में दर्ज आंकड़ों के अनुसार वन्य जीवों की कुल संख्या के अनुसार जनपद में सारस 132, 14 बच्चे, काला हिरण 2200, सूकर पांडा 16, नीलगाय 11586, जंगली सुअर 1643, लंगूर 31, भेड़िए 13, लकड़बग्घा चार, लोमड़ी 10, सियार 2217, मोर 2419, और जंगली बिल्ली 186 हैं। वन्य जीव 6 जून को गई गणना के अनुसार हैं।

शासन स्तर से नहीं है कोई योजना

वन विभाग द्वारा उक्त वन्य जीवों के संरक्षण को कोई योजना तैयार नहीं की गई है। जिससे लंगूर जैसे वन्य प्राणी किसी तरह दिप कर अपने प्राण बचा रहे हैं। इनको कोई संरक्षित स्थान भी नहीं है। इसी तरह काला हिरण अब शिकार करने वालों से किसी तरह छिपकर रह रहे हैं। विभाग का कहना है कि शासन स्तर से अभी तक कोई योजना तैयार नहीं की गई जिससे वन्यजीवों के संरक्षण को काम किया जाए।

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