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बीकानेर विश्वविद्यालय व एम.एस. कॉलेज में लापरवाही: फीस, पोर्टल और छात्रों पर बढ़ता बोझ
यह मामला बीकानेर विश्वविद्यालय और एम.एस. कॉलेज दोनों में छात्रों के साथ हो रही गंभीर लापरवाही और अव्यवस्था को उजागर करता है। बीकानेर विश्वविद्यालय में प्रथम वर्ष के छात्रों की फीस का भुगतान अर्जुन पंचारिया द्वारा समय पर कर दिया गया, लेकिन तकनीकी समस्या के कारण तीन दिन बीत जाने के बाद भी पोर्टल पर “पेमेन्ट पेंडिंग” ही दिखा रहा है।
दूसरी ओर बीकानेर की एम.एस. कॉलेज में एक अलग ही गंभीर समस्या सामने आती है, जहाँ केवल एक प्रैक्टिकल विषय की फीस 4000 रुपये ली जा रही है, जिसका कोई ठोस आधार तक नहीं बताया जाता। जब छात्र या अभिभावक इस मुद्दे पर प्रोफेसरों से बात करते हैं तो उचित जवाब तक नहीं दिया जाता। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इस कॉलेज में करीब 95% छात्राएं ग्रामीण पृष्ठभूमि से आती हैं, जिनके पिता या तो मज़दूरी करते हैं या कम आय वाली खेती पर निर्भर हैं, जिनकी मासिक आय मुश्किल से 5000 से 6000 रुपये होती है।
ऐसे हालात में सिर्फ एक प्रैक्टिकल विषय की फीस ही परीक्षा शुल्क की चार गुना हो जाना गरीब परिवारों के लिए असहनीय बोझ है। सवाल यह है कि जब छात्रों पर इतना आर्थिक दबाव डाला जा रहा है, तो प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर चुप क्यों है? विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के ऐसे गैरजिम्मेदार रवैये से छात्रों का भविष्य प्रभावित होता है और शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में अविश्वास फैलता है।
