Lucknow Breaking : बेटे अब्दुल्ला संग अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे आजम खां, बोले.. “आधी सदी का रिश्ता है, टूटने में भी सदियां लगेंगी”

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खां शुक्रवार को अपने बेटे अब्दुल्ला आज़म के साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात करने पहुंचे। यह मुलाकात अचानक हुई, जिसने प्रदेश की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी। दिलचस्प बात यह रही कि कुछ समय पहले आज़म खां ने अखिलेश को अकेले घर आने की हिदायत दी थी, लेकिन इस बार वे खुद बेटे को साथ लेकर मिलने पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच लगभग आधे घंटे तक बंद कमरे में बातचीत हुई।

मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए आज़म खां ने कहा, “उस घर से मेरा रिश्ता 50 साल पुराना है। इस रिश्ते को कमजोर होने में भी सालों लगेंगे और टूटने में सदियां लगेंगी — लेकिन मेरे पास सदियां नहीं हैं।”

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अब्दुल्ला की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं तो अगली नस्ल को भी साथ लेकर जाता हूं, ताकि रिश्ते पीढ़ियों तक बने रहें। जब जंग लगती है, तो मैं खुद उसे साफ कर लेता हूं — किसी तीसरे की जरूरत नहीं पड़ती।”

आज़म खां ने आगे कहा कि मीडिया ने उन्हें गलत समझा, लेकिन अब धीरे-धीरे सच्चाई सामने आ रही है। “अब लोगों को एहसास हो रहा है कि मेरे साथ अन्याय हुआ। हम यही बात करते हैं कि कोई और मेरे जैसा अन्याय न झेले — सबको अदालतों से इंसाफ मिले।”

उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा, “अगर मैं भूमाफिया होता, तो लखनऊ में मेरी भी कोई कोठी होती। रामपुर में जहां रहता हूं, वहां बरसात में दो फीट पानी भर जाता है। जब इनकम टैक्स ने मेरे घर पर छापा मारा था, तब भी जनरेटर नहीं था और आज भी नहीं है। जब तक मेरे समाज के हर घर में जनरेटर नहीं होगा, मैं भी नहीं लगाऊंगा।”

उन्होंने कहा कि जो तकलीफें झेली हैं, उनसे बड़ी तकलीफ अब संभव नहीं। “जब सब कुछ सह लिया, तो अब पीछे क्यों हटें।” बिहार चुनाव पर उन्होंने कहा कि हालात बदलेंगे, लेकिन खुद प्रचार में जाने से उन्होंने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इनकार किया।

वहीं, अखिलेश यादव ने आज़म खां से हुई इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा —

“न जाने कितनी यादें संग ले आए, जब वो आज हमारे घर पर आए! ये जो मेलमिलाप है, यही हमारी साझा विरासत है।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात सपा के भीतर बदलते समीकरणों का संकेत हो सकती है, क्योंकि आज़म खां लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूर थे।

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