लखनऊ : देवोत्थानी एकादशी पर तुलसी, शालिग्राम विवाह, अयोध्या से आई बारात बनी आकर्षण का केंद्र

लखनऊ। शनिवार को देवोत्थानी एकादशी के पावन अवसर पर राजधानी में धार्मिक उत्सव का अद्भुत उत्साह देखने को मिला। घर-घर और मंदिरों में महिलाओं ने विधि-विधान से तुलसी पूजन किया। श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर भगवान विष्णु को गन्ना, सुथनी, गंजी आदि अर्पित किए। शाम होते ही विभिन्न मंदिरों में तुलसी और शालिग्राम के दिव्य विवाह का आयोजन हुआ।

अयोध्या से आई 108 साधुओं की बारात

शास्त्री नगर स्थित दुर्गा मंदिर में तुलसी–शालिग्राम विवाह का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। अयोध्या धाम से 108 साधु शालिग्राम की बारात लेकर रवाना हुए, जो शाम 5 बजे ऐशबाग राधाकृष्ण मंदिर पहुंची। वहां से बारात ऐशबाग रामलीला मैदान, रामनगर, तिलकनगर और कुंडरी होते हुए दुर्गा मंदिर तक पहुंची।

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रास्ते भर लोगों ने फूल बरसाकर बरात का स्वागत किया। मंदिर की ओर से सभी बारातियों को एक समान वस्त्र भेंट किए गए। कार्यकर्ताओं और मंदिर प्रशासन ने फूलमालाएं पहना कर बारातियों का अभिनंदन किया। तत्पश्चात वेद मंत्रों के बीच तुलसी और शालिग्राम का विवाह सम्पन्न हुआ।

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मुख्य यजमान अजय गुप्ता रहे, जबकि ताराचंद अग्रवाल, राम नरेश मिश्र, पवन अग्रवाल, राजेंद्र गोयल, रामकिशन जयसवाल और ओम प्रकाश गुप्ता ने विवाह संस्कार पूर्ण कराया। बारातियों के लिए फलाहारी भोजन की व्यवस्था की गई। श्रद्धालुओं ने तुलसी माता को उपहार अर्पित किए, जो अयोध्या धाम भेजे जाएंगे। कथा वाचक कल्याणी देवी ने दुर्गा मंदिर द्वारा इस परंपरा को जीवंत बनाए रखने के प्रयास की सराहना की।

शहर के अन्य मंदिरों में भी धार्मिक रंग

महाकाल मंदिर (राजेंद्र नगर), बड़ी काली मंदिर (चौक), हरिओम मंदिर (लालबाग) और गौरयामठ (मोतीनगर) स्थित मंदिरों में भी तुलसी विवाह और एकादशी उद्यापन के कार्यक्रम आयोजित हुए। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। महिलाओं ने तुलसी माता का श्रृंगार, दीपदान और मिष्ठान अर्पित कर पूजा की। पूरे दिन मंत्रोच्चार, भक्ति गीत और घंटा-घड़ियाल की ध्वनि से वातावरण भक्तिमय बना रहा।

शाम को भजन-कीर्तन और आरती के बीच विवाह की रस्में की गईं। श्रद्धालुओं ने ‘जय तुलसी माता’ और ‘जय श्री विष्णु’ के जयकारों से माहौल भक्तिमय कर दिया।

चार शुभ योगों का बना दुर्लभ संयोग

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल के अनुसार इस वर्ष देवोत्थानी एकादशी पर रवियोग, ध्रुव योग, आनंद योग और त्रिपुष्कर योग का दुर्लभ संयोग बना, जिसमें पूजन और दान का विशेष महत्व है। तुलसी विवाह घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

दान, प्रसाद और दीपदान

तुलसी विवाह के बाद श्रद्धालु महिलाओं ने व्रत-उपवास पूर्ण कर जरूरतमंदों को दान-पुण्य किया। मंदिर प्रांगण में प्रसाद वितरण और दीपदान कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। भक्तों ने दीप जलाकर भगवान विष्णु से परिवार की मंगलकामना की।

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