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लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा

बीते महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वहां गए थे जिसकी तस्वीरें दुनियाभर में प्रसारित हुईं। इसके बाद से मालदीव बौखला गया था और वहां से भारत विरोधी सुर फूटने लगे। वहां के नेताओं ने न सिर्फ भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का मजाक उड़ाया था, बल्कि भारत से अपने देश में तैनात सैनिकों को वापस बुलाने तक को कह दिया था। इसके लिए उसने 15 मार्च तक का समय दिया है। भारतीय सेना मालदीव से कब वापस आती है यह तो भविष्य में पता चलेगा, लेकिन उससे पहले भारत समुद्र में चौकसी बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।
गौरतलब है कि लक्षद्वीप, मिनिकॉय द्वीप और अंडमान निकोबार द्वीप समूह की भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर पर नजर रखने के लिए काफी अहम है। इस इलाके में चीन की बढ़ती गतिविधियों और समुद्री रास्तों को सुरक्षित करने के लिहाज से ये नौसैनिक अड्डा काफी अहम होगा।
लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीप नौ डिग्री चैनल पर स्थित हैं, जहां से होकर दक्षिण-पूर्वी एशिया और उत्तरी एशिया के बीच अरबों रुपये का आयात-निर्यात होता है। इस अड्डे से व्यापारिक सुरक्षा भी बढ़ेगी। इसे ऐसे समझा जा सकता है यदि किसी जहाज को सुंदा और लोंबक की खाड़ी की तरफ जाना है तो उसे दस डिग्री चैनल यानी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास से गुजरना होगा।
ऐसे में दोनों जगहों पर मजबूत सुरक्षा और निगरानी दस्ता होना चाहिए, जो जरूरत पड़ने पर दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे सके। साथ ही आसपास के इलाके में शांति बनी रहे। लक्षद्वीप में नौसेना बेसकैंप बनने से सुरक्षा में बढ़ोतरी हो सकेगी। हाल ही में सरकार ने अंडमान और निकोबार आइलैंड के कैंपबेल खाड़ी में नई फैसिलिटी बनाई हैं।
इस फैसिलिटी का इस्तेमाल सेना बखूवी कर रही है। पूर्व में अंडमान और पश्चिम में लक्षद्वीप पर मजबूत तैनाती से भारत की समुद्री सीमा सुरक्षित रहेगी। दोनों द्वीप समूहों पर पर्यटन भी बढ़ेगा और लोग यहां घूमते समय सुरक्षित महसूस करेंगे।