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बड़ी कामकाजी आबादी

दुनिया की सबसे बड़ी कामकाजी आबादी और मजबूत भौतिक एवं डिजिटल संस्थानों की मौजूदगी से भारत के लिए अब उड़ान भरने का वक्त आ गया है। बुधवार को नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ऐसे मुकाम पर है जहां निजी क्षेत्र को अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत की जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा कामकाजी आयु का है। इसे जनसांख्यिकीय लाभांश कहते हैं। विकास में जनसांख्यिकीय लाभांश की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। निश्चित रूप से बड़ी युवा आबादी होने से उपभोग बढ़ेगा और श्रम उपलब्धता भी पर्याप्त रहेगी।
स्वाभाविक रूप से ऐसी स्थिति में उत्पादन बढ़ने की संभावना पैदा होती है। निश्चित रूप से यह भारत के लिए उड़ान भरने का वक्त है लेकिन निजी क्षेत्र देश में शोध एवं विकास गतिविधियों में केवल 40 प्रतिशत योगदान करता है जबकि विकसित देशों में यह अनुपात 70 प्रतिशत है। साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अगर युवा जनसंख्या को सही ढंग से तैयार नहीं किया गया, तो इस वरदान को अभिशाप में बदलने में भी देर नहीं लगेगी। जिसकी ओर विशेषज्ञ पहले से ही संकेत कर रहे हैं।
यह संकट चीन, जापान, यूरोप के अनेक देशों में आ चुका है। बेशक हमारी अर्थव्यवस्था की विकास-दर करीब आठ फीसद है, लेकिन प्रति व्यक्ति इसका औसत करीब 4.5 फीसद ही है। बेरोजगारी की दर आज भी 7-8 फीसद के बीच है।
ध्यान रहे युवा बेरोजगारी तो एक चिंतित सरोकार है। सरकार को युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार देने के लिए बड़े पैमाने पर योजना बनाने की जरूरत है। केंद्र, राज्य सरकारें व निजी क्षेत्र मिलकर यह काम कर सकते हैं। ऐसे में बेरी ने सही कहा है कि शहरीकरण के प्रबंधन, नियमों को स्थिर एवं सतत बनाने और व्यापक बदलाव वाली प्रौद्योगिकियों को अपनाने जैसी अहम चुनौतियों से निपटने की जरूरत है।